गुमला : केंद्र सरकार ने शिक्षा के स्तर को बढ़ावा देते हुए निजी विद्यालय की तर्ज पर अंगरेजी माध्यम से विद्यार्थियों को शिक्षित करने के उद्देश्य से मॉडल विद्यालय का प्लान तैयार किया. प्लान के तहत काम भी हुआ और झारखंड राज्य के सभी जिलों में वर्ष 2012 से मॉडल विद्यालय का संचालन होने लगा. जिसमें राज्य के गुमला जिला के मॉडल विद्यालय के लिए आठ प्रखंडों का चयन किया गया. जिसमें गुमला, बिशुनपुर, घाघरा, भरनो, रायडीह, पालकोट बसिया और कामडारा प्रखंड शामिल है.
शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को विद्यालय में अंगरेजी माध्यम से शिक्षा देकर उच्च शिक्षा से जोड़ने की कवायद शुरू हुई. विद्यालय का सुचारु रूप से संचालन भी शुरू हुआ. लेकिन किसी विद्यालय में बुनियादी सुविधाएं नहीं दी गयी. किसी भी विद्यालय का अपना भवन नहीं है. सभी विद्यालय दूसरे विद्यालयों के भवन में संचालित हो रहे हैं. दु:खद बात तो यह है कि इन विद्यालयों के शिक्षकों को विगत नौ माह से मानदेय नहीं मिला है. अंतिम बार मार्च 2014 में उन्हें मानदेय मिला था. इसके बाद भी विद्यालयों में शिक्षक पूरी ईमानदारी और तन्मयता के साथ अपने कर्त्तव्यों का निर्वह्न् करने में लगे हुए हैं.
क्या कहते हैं शिक्षक : शिक्षक संजय कुमार प्रजापति, कुमार विश्वजीत व प्रेमलता कुमारी का कहना है कि विगत नौ माह से बिना मानदेय के बच्चों को पढ़ा रहे हैं. विद्यालय के आरंभ काल से लेकर अब तक स्टेशनरी सामग्री के लिए कभी राशि उपलब्ध नहीं करायी गयी है. स्वयं के पैसे से स्टेशनरी सामग्री का खर्च वहन कर रहे हैं. मानदेय नहीं मिलने के कारण परेशानी भी हो रही है. इसके बाद भी बच्चों को बेहतर शिक्षा दे रहे हैं.