दुर्जय पासवान, गुमला
पालकोट प्रखंड के घनघोर जंगल व पहाड़ों के बीच स्थित कोलेंग पंचायत के कुलबीर मौजा आजादी के 70 साल बाद भी विकास की बाट जोह रहा है. एक समय था कि उग्रवाद का बहाना बनाकर इस क्षेत्र में विकास के काम शुरू नहीं किये गये. लेकिन अब इस क्षेत्र से उग्रवाद खत्म हो गया तो प्रशासन ने विकास के नाम पर मुंह मोड़ लिया.
कुलबीर से सटे गांवों में दौरीबारी, जोगीटोली, अंबाकोना, बरडाड़, तिलईडाड़ गांव है. इन गांवों की आबादी करीब तीन हजार है. कुलबीर गांव बरसात में टापू हो जाता है. कारण कुलबीर व महुआटोली गांव के बीच में मरदा नदी है. जहां बरसात के दिनों में नदी में उफान रहता है. पुल नहीं रहने के कारण लोग तीन महीने तक टापू में रहते हैं.
बरसात के बाद जब जलस्तर कम होता है तो लोग सिर पर सामान ढोकर पार करते हैं. वहीं कुलबीर के बगल में चीरोडीह गांव में भी पुल अधूरा है. जिस कारण तिलईडाड़ गांव के लोगों का संपर्क पालकोट से कट जाता है. गांव की इन्हीं समस्याओं को लेकर ग्रामीणों ने बैठक की. केश्वर ओहदार व अनिल साहू ने कहा है कि हमलोगों ने कई बार प्रशासन व विधायक को समस्या से अवगत कराया.
एक बार गांव में जनता दरबार भी लगा. परंतु समस्या दूर नहीं हुई. विधायक का भी आश्वासन कोरा साबित हुआ. इसलिए इसबार गांव के लोग वोट का बहिष्कार करेंगे. यह क्षेत्र सिमडेगा विधानसभा क्षेत्र में आता है और इसके विधायक विमला प्रधान हैं. पुल के अलावा गांव में सड़क भी नहीं है.
बैठक में सोमरा पहान, गेड़ू सिंह, बुद्ववा उरांव, एतवा उरांव, सावन लोहरा, सुनू उरांव, हीरापति सिंह, कामेश्वर सिंह, शनिचर खड़िया, बिरसाई टाना भगत, बुद्वराम टाना भगत, नीचू टाना भगत, बंधु खड़िया, संतु खड़िया, जलीमा खड़िया, गोवर्धन प्रधान, कंचन प्रधान सहित कई लोग थे. ग्रामीणों ने कहा है कि इस क्षेत्र में शौचालय भी अधूरा है. रोजगार का भी साधन नहीं है. कई लोग काम के लिए पलायन कर गये हैं.