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शहीद के प्रखंड का नहीं हुआ विकास

जगरनाथ/जॉली, गुमला : परमवीर चक्र विजेता शहीद अलबर्ट एक्का के नाम से बने जारी प्रखंड के आठ साल हो गये. लेकिन इस प्रखंड के 60 गांव आज भी विकास के लिए तड़प रहे हैं. जिस उम्मीद से जारी को प्रखंड बनाया गया. वह उम्मीद आज भी सरकारी बाबुओं के दफ्तरों के कागजों में दम तोड़ […]

जगरनाथ/जॉली, गुमला : परमवीर चक्र विजेता शहीद अलबर्ट एक्का के नाम से बने जारी प्रखंड के आठ साल हो गये. लेकिन इस प्रखंड के 60 गांव आज भी विकास के लिए तड़प रहे हैं. जिस उम्मीद से जारी को प्रखंड बनाया गया. वह उम्मीद आज भी सरकारी बाबुओं के दफ्तरों के कागजों में दम तोड़ रहा है. विकास के नाम पर यहां सिर्फ वादे हुए हैं. प्रखंड की जो स्थिति है. यह किसी भी गांव से बदतर है.
अगर आज जारी प्रखंड अपने विकास के लिए तड़प रहा है तो इसके पीछे राजनीति दावंपेंच व नेताओं के बेरूखी है. अलबर्ट एक्का जारी प्रखंड में सरकारी भवनों के निर्माण पर रोक लग गया है. भवन का निर्माण क्यों बंद कर दिया गया है. अब दोबारा काम कब शुरू होगा.
इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है. यहां तक कि प्रशासनिक अधिकारी भी भवन निर्माण बंद होने के कारणों से अनभिज्ञ हैं. जारी में नया ब्लॉक भवन, अस्पताल, आइटीआइ भवन बनना है. सात साल पहले इन भवनों के निर्माण पर काम शुरू हुआ था. लेकिन चार साल से काम बंद है. ठेकेदारों ने काम क्यों बंद किया. इस संबंध में कोई बताने को तैयार नहीं है.
जारी प्रखंड में एक करोड़ रुपये की लागत से बनी अलकतरा सड़क भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ गयी. चार साल पहले सड़क बनी थी. लेकिन एक ओर से सड़क बनते गयी दूसरी और से उखड़ते गयी. आज सड़क के नाम पर सिर्फ गड्ढे हैं. चैनपुर से जारी जाने में हिचकोले खाते हुए जाना पड़ता है. मेराल से जारी तक की सड़क की भी वही स्थिति है. प्रखंड में अस्पताल अधूरा है. कब पूरा होगा या नहीं बनेगा. यह सवाल लोग कर रहे हैं. परंतु इसका जवाब न तो नेताओं के पास है. न तो अधिकारियों के पास.
आज लोग बीमार होते हैं तो कई गांव के लोग छत्तीसगढ़ राज्य इलाज कराने जाते हैं. गांव के लोग कहते हैं. मीडिया को छोड़ दें, तो सभी लोग प्रखंड के विकास के नाम पर सोये हुए हैं. आज भी जारी प्रखंड उपेक्षित है. विकास ठप होने का मुख्य कारण राजनीति दावंपेंच है. जारी प्रखंड छत्तीसगढ़ राज्य से सटा हुआ है. 19 मार्च 2010 को प्रखंड बना़ जारी में पांच पंचायत है.
इसमें 60 गांव आता है. आबादी 30 हजार 926 है. यह पहला प्रखंड है जहां सोलर से बिजली जलती है. लेकिन कुछ ही इलाकों तक बिजली है. ग्रामीण विद्युतिकरण के तहत कई गांवों में बिजली नहीं पहुंची है. टेन प्लस टू स्कूल शुरू हुआ. लेकिन गणित व साइंस के शिक्षक नहीं हैं. पारा शिक्षक किसी प्रकार इंटर के छात्रों को पढ़ा रहे हैं.
मनोरम छटा बिखेरती है श्रीनगर नदी
जारी से सटे श्रीनगर नदी का मनोरम दृश्य है. यहां हर साल नववर्ष में लोग पिकनिक मनाने आते हैं. अन्य अवसरों पर भी लोगों की भीड़ देखी जाती है. प्रशासन इसे पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित करे तो इस क्षेत्र से लोगों का जुड़ाव होगा. क्योंकि अभी भी यह इलाका दूसरे प्रखंड से पूरी तरह अछूता है. पिकनिक स्पॉट बनेगा तो लोग आयेंगे. इस क्षेत्र के लोगों को रोजगार का अवसर भी खुलेगा. क्योंकि दुकान खुलने से बाहरी खरीदारों से दुकान चलेगी.

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