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नामांकित 217, उपस्थिति 74

हाल राजकीयकृत मवि असनी का जॉली/आरिफ गुमला : शिक्षा को बढ़ावा देने व बच्चों को विद्यालय से जोड़ने के दावे गुमला जिले में खोखले साबित हो रहे हैं. सरकार द्वारा चलायी जा रही कई महत्वाकांक्षी योजनाओं के बावजूद विद्यालय में नामांकित बच्चों की संख्या दिनों दिन बढ़ने की बजाय घटती चली जा रही है. जिला […]

हाल राजकीयकृत मवि असनी का

जॉली/आरिफ

गुमला : शिक्षा को बढ़ावा देने व बच्चों को विद्यालय से जोड़ने के दावे गुमला जिले में खोखले साबित हो रहे हैं. सरकार द्वारा चलायी जा रही कई महत्वाकांक्षी योजनाओं के बावजूद विद्यालय में नामांकित बच्चों की संख्या दिनों दिन बढ़ने की बजाय घटती चली जा रही है. जिला मुख्यालय से महज सात किमी दूर स्थित राजकीयकृत मवि असनी का भी यही हाल है.

विद्यालय में कुल 217 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. मगर औसतन प्रत्येक दिन लगभग 50 प्रतिशत से भी कम उपस्थिति रहती है. 10 मई को विद्यालय में कक्षा एक में नामांकित कुल नौ बच्चों में मात्र तीन उपस्थित थे. इसी प्रकार कक्षा दो में कुल 31 बच्चों में मात्र 10, वर्ग तीन में कुल 41 में 14, कक्षा चार में कुल 19 में 4, कक्षा पांच में कुल 18 में 6,कक्षा छह में कुल 31 में 13, कक्षा सात में कुल 36 में 12 व कक्षा आठ में कुल 32 में 12 छात्र-छात्राएं उपस्थित थे.

विद्यालय में भवन, पेयजल, शिक्षकों की कमी व अन्य सुविधाओं का टोटा के कारण छात्र -छात्राएं विद्यालय से मुंह मोड़ रहे है. विद्यालय में कुल आठ कमरों का भवन है. मगर छह कमरे अति जजर्र अवस्था में है. खिड़की, दरवाजे व जमीन भी अति जजर्र अवस्था में है. बरसात के दिनों में विद्यालय तालाब में तब्दील हो जाता है. इसके कारण बच्चे विद्यालय के मैदान व बरामदे में पढ़ाई करने को विवश हैं. विद्यालय में पांच शिक्षक कार्यरत हैं. जबकि वर्षो से तीन सरकारी शिक्षकों का पद रिक्त है. विद्यालय के छात्र-छात्राएं खुले में शौच जाने को विवश है. वर्षो पूर्व बने एक मात्र शौचालय में जजर्र अवस्था के कारण ताला लटका हुआ है.

पेयजल के लिए छात्र-छात्राओं को कतार में लगना पड़ता है. दो चापाकल में से एक वर्षो से खराब पड़ा हुआ है. एक मात्र बचे चापाकल पर पूरा असनी ग्राम भी आश्रित है. अगर मध्याह्न् भोजन की ओर रूख किया जाये तो, बच्चों की थाली में कभी-कभार ही हरी सब्जियां परोसी जाती है. शनिवार को विद्यालय के 74 बच्चों के लिए आठ किलो चावल, एक किलो दाल व एक किलो आलू मिक्स कर खिचड़ी तैयार की जा रही थी.

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