गुमला : सरना अस्तित्व रक्षा मंच कोटेंगसेरा की बैठक कोटेंगसेरा डोलडांड में हुई. अध्यक्षता सिद्धार्थ उरांव ने की. कहा गया कि होली के दिन ही फागुन सरहुल मनाने की परंपरा रही है और क्षेत्र में प्रचलित है. फागुन के दिन सरहुल मनाने से सरहुल का महत्व फीका हो जाता है. ऐसे में पाहन, पुजार, महतो व हम सभी आदिवासियों ने अब चैत्र शुक्ल षष्ठी को प्रत्येक वर्ष सरहुल पूजा मनाने का निर्णय लिया है.
इसके सफल आयोजन के लिए कमेटी का गठन किया गया. सरना अस्तित्व रक्षा मंच कोटेंगेसेरा के अध्यक्ष रंजन उरांव, उपाध्यक्ष तुला उरांव, सचिव सिद्धार्थ उरांव, संयुक्त सचिव मंगलेश्वर खड़िया व कोषाध्यक्ष नाठू उरांव को मनोनीत किया गया. फकीर चंद भगत ने कहा कि कोटेंगसेरा गांव में सरहुल चैत्र शुक्ल षष्ठी के दिन प्रत्येक वर्ष मनाने का निर्णय सराहनीय है.
मौके पर बाजू पाहन, प्रभु पाहन, कृष्णा पाहन, रंजन उरांव, कार्तिक उरांव, रघु उरांव, बिरसा भगत, बनेश्वर तिर्की, तुला उरांव, जयपाल लोहरा, धनसु लोहरा, नाठू उरांव, बैजू बड़ाइक, विष्णु बड़ाइक, विष्णु तिर्की, दिलीप तिर्की, बिंदेश्वर पुजार, विक्रम तिर्की, रमेश उरांव, अजीत महली, राम टोप्पो, मतलु साहू, विद्या बड़ाइक, विश्वा तिर्की, विजय तिर्की, मिनी देवी, पूर्णिमा देवी, ननकी देवी, नीलू देवी, राजमुनी देवी, अनीता देवी, ललिता कुमारी, चरियो देवी, लक्ष्मी देवी, रूदो देवी, सीता देवी, कंदरी देवी, सुकरी देवी, शांति देवी, कोका उरांव, अमर साहू, सुशीला देवी, पूनम देवी, शनियारो देवी, मालो देवी, सरिता देवी, नेहा देवी, लुरहू उरांव, पदु उरांव, चांदनी देवी, पूनम देवी, बुद्धिमति टोप्पो व नारो खड़िया सहित सैकड़ों ग्रामीण मौजूद थे. धन्यवाद ज्ञापन विमलचंद्र बड़ाइक ने किया.