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आदिवासियों की चिंता सरकार को नहीं : भूषण तिर्की

गुमला : वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर योजना एवं नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज रद्द करने सहित भूमि अधिग्रहण कानून 2017, लैंड बैंक के नाम पर गांवों की जमीन चिह्नित करने के खिलाफ व सरना कोड लागू करने आदि की मांग को लेकर केंद्रीय जनसंघर्ष समिति लातेहार-गुमला ने गुरुवार को गुमला के कचहरी परिसर में धरना-प्रदर्शन किया. धरना-प्रदर्शन […]

गुमला : वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर योजना एवं नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज रद्द करने सहित भूमि अधिग्रहण कानून 2017, लैंड बैंक के नाम पर गांवों की जमीन चिह्नित करने के खिलाफ व सरना कोड लागू करने आदि की मांग को लेकर केंद्रीय जनसंघर्ष समिति लातेहार-गुमला ने गुरुवार को गुमला के कचहरी परिसर में धरना-प्रदर्शन किया. धरना-प्रदर्शन के बाद राज्यपाल को पांच सूत्री मांग पत्र प्रेषित किया. मौके पर पूर्व विधायक भूषण तिर्की ने कहा कि राज्य सरकार ने झारखंड के आदिवासियों-मूलवासियों को परेशान कर रखा है.

पहले नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज फिर भूमि अधिग्रहण के नाम पर परेशान किया.आदिवासियों-मूलवासियों ने जब इसका विरोध किया, तो लैंड बैंक के नाम पर जमीन को लूटने का प्रयास किया. इसका भी विरोध हुआ. अब सरकार नया हथकंडा अपनाते हुए वाइल्ड लाइन कॉरिडोर नामक योजना बनायी है, जो बाघ, हाथी और बालू के लिए है. इस योजना से भी सैकड़ों गांवों के लाखों आदिवासी-मूलवासी विस्थापित होंगे.


श्री तिर्की ने बताया कि पलामू व्याघ्र परियोजना के तहत वफर एरिया के आठ गांव को कोर एरिया में शामिल कर गांव को खाली करने से संबंधित सहमति एवं असहमति से संबंधित पत्र वन प्रमंडल पदाधिकारी वफर एरिया, व्याघ्र परियोजना डालटनगंज, पलामू द्वारा इको विकास समिति के अध्यक्ष को प्रेषित किया गया है. लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे. एएसए के राष्ट्रीय अध्यक्ष थियोडोर किड़ो ने कहा कि वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर योजना के लिए पलामू प्रमंडल सहित गुमला, खूंटी, सिमडेगा एवं पश्चिमी सिंहभूम जिले के 214 गांवों को चिह्नित किया गया है.

इन गांवों की एक लाख 87 हजार 233 एकड़ जमीन अधिग्रहित होगी, जिससे लाखों लोग बेघर हो जायेंगे. अब या तो महामहिम राज्यपाल हमारी समस्या का समाधान करेंगे या तो हम आंदोलन के माध्यम से अपनी समस्या का समाधान करेंगे. इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए तेलेस्फोर एक्का ने कहा कि सरकार को जानवरों की चिंता है, लेकिन इंसानों की नहीं. सरकार संवेदनहीन हो गयी है. यही कारण है कि राज्य सरकार राज्य के आदिवासियों और मूलवासियों को विस्थापित करने में लगी है. मौके पर मारसेला खलखो, कजरू मुंडा, वासुदेव भगत, अमित एकका, ललित एक्का, गोविंदा टोप्पो, रंजीत सिंह, फ्लोरा मिंज, रोष खाखा, जेरोम जेराल्ड कुजूर, सुनील केरकेट्टा, बसंत गोप, विश्वनाथ उरांव, त्योफिल बिलुंग, रामदेव मुंडा व सुनील केरकेट्टा सहित सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित थे.

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