इन दोनों प्रखंडों में 19 ऐसे बालू घाट हैं, जहां से अच्छा खासा बालू निकलता है. बालू माफिया अपनी पॉकेट भरने के लिए इन बालू घाटों से बालू उठा कर रांची ले जा रहे हैं और ऊंचे दामों में बेच रहे हैं. कभी चार-पांच सौ रुपये में मिलने वाला बालू अभी 20 से 25 हजार रुपये ट्रक व डंपर रांची में बिक रहा है. इससे बालू माफिया व प्रखंड के अधिकारी मिल कर मोटी रकम कमा रहे हैं.
ऐसे प्रखंड प्रशासन का आरोप है कि अवैध बालू के उठाव पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस सहयोग नहीं करती है. जबकि पुलिस का आरोप है कि कभी प्रशासनिक अधिकारियों ने सहयोग नहीं मांगा है. अब मामला जब फंसने लगा है, तो प्रशासन व पुलिस एक-दूसरे पर आरोप मढ़ रहे हैं. हालांकि अभी भी सिसई की नदियों से अवैध रूप से बालू का उठाव हो रहा है और ऊंचे दामों में उसे बेचा जा रहा है.