हाथों में बापू (महात्मा गांधी) का लिखित संदेश पढ़ कर स्वच्छता की शपथ दिलायी जा रही है. यह सिर्फ कागजी व भीड़ का हिस्सा बन कर रह गयी. कसम व शपथ को लोग चंद मिनटों में भूल गये. जिन लोगों ने कसम खिलायी, वे भी स्वच्छता का महत्व भूल गये. गुमला में हर जगह स्वच्छता अभियान फेल दिख रहा है. इसमें सच्चाई भी है, क्योंकि गुमला की जो तसवीर है, जिस प्रकार गंदगी है, यह खुद स्वच्छता की सच्चाई बता रही है. अब सवाल है कि गुमला कब संपूर्ण स्वच्छ होगा. बापू का सुंदर गांव का सपना कैसे पूरा होगा. स्वच्छ भारत का हिस्सा हम बनेंगे या नहीं. यह हमारी सोच पर निर्भर करता है. लेकिन गुमला में स्वच्छता की जो स्थिति है. यहां हुक्म व हुक्कामों को गंदगी के ढेर मुंह चिढ़ा रही है. वर्तमान समय में सरकार का सपना है भारत स्वच्छ हो, गांव सुंदर हो, लेकिन गुमला स्वच्छता सरकार के सपने को चकनाचूर कर रही है. गुमला में जो लोग कल तक स्वच्छता की कसम खाये थे.
अभियान खत्म होते ही अब वे ही गंदगी फैला रहे हैं. पूर्व में भी जो अभियान चला, वह मुख्य सड़कों तक सिमट कर रह गया. गांव व शहर के गली मुहल्ले में अभी भी गंदगी है और स्वच्छता अभियान फेल है. हालांकि, गुमला के डीसी स्वच्छता को लेकर गंभीर हैं. वे लगातार स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने में लगे हुए हैं, लेकिन यह अभियान तभी सफल होगा, जब हम एक सोच के साथ स्वच्छता के प्रति जागरूक होंगे. इसमें गुमला नगर परिषद को भी सजग होना होगा. कुछ अपना दायित्व भी निभाये. कुछ काम शहर के लिए भी करें, तभी गुमला स्वच्छ व सुंदर होगा.