गुमला: मैं बिरिया उरांव जिंदा हूं, लेकिन प्रशासन ने अपनी जांच रिपोर्ट में मुझे मृत घोषित कर दिया है. ये बातें घाघरा प्रखंड के बेलागाड़ा निवासी बिरिया उरांव ने कही. बिरिया से जब पूछा गया, क्या तीन साल पहले आपके नाम से कुआं स्वीकृत हुआ था, इस पर उसने कहा: मुझे कुछ ज्यादा याद नहीं […]
गुमला: मैं बिरिया उरांव जिंदा हूं, लेकिन प्रशासन ने अपनी जांच रिपोर्ट में मुझे मृत घोषित कर दिया है. ये बातें घाघरा प्रखंड के बेलागाड़ा निवासी बिरिया उरांव ने कही. बिरिया से जब पूछा गया, क्या तीन साल पहले आपके नाम से कुआं स्वीकृत हुआ था, इस पर उसने कहा: मुझे कुछ ज्यादा याद नहीं रहता. प्रशासन ने कुआं पास किया है. यह मुझे जानकारी नहीं है. मेरी जमीन पर कुआं भी नहीं खोदा गया है.
ज्ञात हो कि वर्ष 2014-15 में बिरिया उरांव के नाम से कुआं स्वीकृत हुआ था, जिसकी प्राक्कलित राशि दो लाख 26 हजार 515 रुपये है, जिसमें एक लाख 77 हजार 43 रुपये की निकासी कर ली गयी है. दिलचस्प बात है कि कुआं बिरिया के नाम से स्वीकृत हुआ और कुआं धाना उरांव की जमीन पर खोद कर राशि की बंदरबांट कर ली गयी. हालांकि धाना को भी पैसा नहीं मिला. अधिकारी व कुछ बिचौलिया उक्त राशि को गटक गये. इधर, जब कुआं की जांच तीन सदस्यीय टीम सहायक अभियंता दिवाकर केसरी, कनीय अभियंता राहुल कुमार व बीपीओ कांति कुमारी ने की, तो इन अधिकारियों ने बिरिया को मृत घोषित कर दिया. अधिकारियों ने अपनी जांच रिपोर्ट में बिरिया को मृत बताया है.
मामला इस प्रकार जानें
कुआं में गड़बड़ी की शिकायत हुई थी. जांच टीम बेलागाड़ा गांव गयी और जांच की. इसके बाद 31 जुलाई 2017 को टीम ने जांच रिपोर्ट बीडीओ को सौंपी. जांच रिपोर्ट में इस प्रकार लिखा हुआ है : जांच टीम को शिकायतकर्ता धाना उरांव ने बताया कि वर्ष 2014-2015 में गांव के ही राजू उरांव ने कुआं स्वीकृति के नाम पर 10 हजार रुपया ठग लिया. उसी वर्ष गांव के बिरिया उरांव के नाम से कुआं स्वीकृत हुआ था. इसके बाद बिरिया के नाम से स्वीकृत कुआं को धाना उरांव की जमीन पर शुरू कर दिया गया. जब इसकी जानकारी धाना उरांव को मिली, तो उसने राजू उरांव से 10 हजार रुपये वापस मांगा, लेकिन राजू पैसा देने से आनाकानी करने लगा. जांच टीम द्वारा राजू उरांव की खोजबीन की गयी, तो ग्रामीणों ने बताया कि राजू गांव में नहीं है.
इसके बाद कुआं लाभुक बिरिया उरांव को जांच के दौरान खोजा गया, तो बताया गया कि बिरिया उरांव की कुछ दिन पहले मौत हो चुकी है. इस योजना की रेकड की जांच की गयी, तो पता चला कि योजना की प्राक्कलित राशि दो लाख 26 हजार 515 रुपये है. जिसमें एक लाख 77 हजार 43 रुपये की निकासी कर ली गयी है. इसमें कनीय अभियंता द्वारा एक लाख 62 हजार 709 रुपये की मापी पुस्तिका बनायी गयी है और कुआं ग्राउंड लेबल तक पूरा हो गया है. अंत में जांच टीम ने लिखा है, इससे निष्कर्ष निकलता है कि कुआं की स्वीकृति बिरिया उरांव के नाम से हुई थी. बाद में बिरिया के खेत में कुआं निर्माण न कर धाना उरांव के खेत में कर दिया गया और राशि की निकासी कर ली गयी. जांच में स्पष्ट है, काम गलत हुआ है. इस कार्य में सम्मिलित संबंधित व्यक्ति पर कार्रवाई की जा सकती है.
राशि की हेराफेरी का खेल हुआ है
सरकारी राशि की हेराफेरी करने के लिए आरोपियों ने जीवित बिरिया उरांव को मृत घोषित कर दिया. जांच टीम जब गांव गयी थी, उस समय टीम को भी भ्रमित किया गया और बिरिया को मृत बता दिया गया. जांच टीम से एक गलती हुई है कि वह बिरिया के घर जाकर पूछताछ नहीं की और रिपोर्ट में बिरिया को मृत घोषित कर दिया.
अधिकारियों की सुनें
बीडीओ विजय कुमार सोनी से इस संबंध में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि मुझे कुछ जानकारी नहीं है. मैं कुछ भी नहीं बता सकता हूं. बीपीओ कांति कुमारी से पूछने पर उन्होंने कहा कि जांच तो हुई है, लेकिन रिपोर्ट देखने के बाद ही कुछ बता सकते हैं.