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हसीन वादियां, ऊंचे पहाड़ और घने जंगल से घिरा रमणीय स्थल है कुरूमगढ़
गुमला : चैनपुर प्रखंड में कुरूमगढ़ है. गुमला से 70 किमी दूर है. चारों ओर हसीन वादियां और घने जंगल हैं. ऊंचे पहाड़ व कई छोटी बड़ी नदियां हैं. कुरूमगढ़ जंगलों से घिरा है. इसकी खूबसूरती व बनावट मिनी कश्मीर से कम नहीं है. कुरूमगढ़ व आसपास के करीब 50 गांव सखुवा के पेड़ के […]
गुमला : चैनपुर प्रखंड में कुरूमगढ़ है. गुमला से 70 किमी दूर है. चारों ओर हसीन वादियां और घने जंगल हैं. ऊंचे पहाड़ व कई छोटी बड़ी नदियां हैं. कुरूमगढ़ जंगलों से घिरा है. इसकी खूबसूरती व बनावट मिनी कश्मीर से कम नहीं है. कुरूमगढ़ व आसपास के करीब 50 गांव सखुवा के पेड़ के पतों को अपना सुंदर व हरियाली वस्त्र बनाये हुए हैं. जो एक बार इस क्षेत्र में जाता है.
इस क्षेत्र की सुंदरता देख मंत्रमुग्ध हो जाता है. जरूर इस क्षेत्र की नदियां आज सूखी है. लेकिन अगर सरकार व प्रशासन थोड़ा पहल कर दें तो नदियों में पानी रहेगा. यहां कई झरना है. झरना लोगों को बरबस अपनी ओर खींचता है. कहने को यह उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र है. लेकिन यहां इस बात से भी गुरेज नहीं किया जा सकता कि अगर आज इस क्षेत्र में हरियाली व घने जंगल हैं, तो इसके पीछे माओवादियों की भूमिका अहम है.
माओवादियों ने इस क्षेत्र से जंगल को कटने से रोके रखा है. सिर्फ सूखी लकड़ी का ही उपयोग ग्रामीण करते हैं. जंगल को नहीं काटते हैं. यही वजह है कि आज इस क्षेत्र में जंगल बचा है. ऐसे इस क्षेत्र में लकड़ी माफिया सक्रिय हैं. चोरी-छिपे पेड़ कटते रहे हैं. इसमें कहीं न कहीं कुरूमगढ़ रेंज वन विभाग की कमजोरी रही है. जो कुछ स्थानों पर पेड़ को कटने से रोकने में नाकाम रही है.
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