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प्रस्तावित संशोधन बिल की प्रति जलायी
बिल को काला कानून बताते कोर्ट अवधि की दूसरी पाली में अधिवक्ता न्यायिक कार्य से अलग रहे. इस दौरान कई महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई नहीं हो पायी. गोड्डा : भारत सरकार के राष्ट्रीय विधि आयोग द्वारा एडवोकेट एक्ट में संशोधन से संबंधित प्रस्ताव को अमान्य एवं खारिज करने की मांग को लेकर जिला अधिवक्ता संघ […]
बिल को काला कानून बताते कोर्ट अवधि की दूसरी पाली में अधिवक्ता न्यायिक कार्य से अलग रहे. इस दौरान कई महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई नहीं हो पायी.
गोड्डा : भारत सरकार के राष्ट्रीय विधि आयोग द्वारा एडवोकेट एक्ट में संशोधन से संबंधित प्रस्ताव को अमान्य एवं खारिज करने की मांग को लेकर जिला अधिवक्ता संघ गोड्डा के निर्णयानुसार शुक्रवार को अधिवक्ता सदस्य न्यायिक कार्यों से अलग रहे. इसके साथ ही बार कौंसिल ऑफ इंडिया के आह्वान पर एडवोकेट एक्ट में संशोधन प्रस्ताव की प्रति जलाकर संघ के सदस्यों ने आयोग के प्रस्ताव पर विरोध जताया. इसके पूर्व सुबह की प्रथम पाली में अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य किये पर द्वितीय पाली में अधिवक्ताओं ने अपने आप को न्यायिक कार्य से अलग रखा. संघ के महासचिव योगेश चंद्र झा ने बताया कि इस संबंध में अध्यक्ष सुशील कुमार झा के साथ महासचिव ने उपायुक्त को ज्ञापन भी सौंपा है.
इस मौके पर वरीय अधिवक्ता क्रांतिधर सहाय, रतन कुमार दत्ता, वरूण कुमार सिंह, भवेशकांत झा, सीताराम यादव, प्रमोद कुमार पंडित, संजय कुमार सहाय, नीलमणि दुबे, अनिता सोरेन, कुंदन कुमार ठाकुर, संजीव कुमार झा आदि अधिवक्ता उपस्थित थे. महासचिव ने बताया कि बार काउंसिल सदस्य धर्मेंद नारायण ने सदस्यों को प्रस्तावित संशोधित बिल के दुष्परिणाम के विषय में समझाया. धर्मेंद नारायण एवं महासचिव श्री झा ने सदस्यों की एकजुटता के लिए उन्हें धन्यवाद दिया. मालूम हो कि प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधित बिल 2017 के विरोध के देशभर के तमाम अधिवक्ता 31 मार्च को न्यायालय कार्य से अलग रहे थे.
महगामा प्रतिनिधि के अनुसार
केंद्र सरकार द्वारा एडवोकेट एक्ट में संशोधन बिल का विरोध करते अधिवक्ताओं ने बिल की प्रतियां जला कर विरोध किया है.अनुमंडल बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने इस मामले को लेकर विरोध किया. दूसरी पाली में अधिवक्ता काय्र से अलग रहे. अधिवक्ताआें ने कहा कि सरकार उनके अधिकारों को छीनने की साजिश कर रही है. सरकार अधिवक्ता विरोधी काम कर रही है. हर हाल में इस कानून का विरोध किया जायेगा. यदि समय रहते इस संशोधन को वापस नही लिया गया तो आगे भी उग्र आंदोलन करेंगे. मौके पर अध्यक्ष रमेश कुमार मुर्मू, नारायण पासवान, सुभाष चंद्र राय, ओमप्रकाश चौबे, उत्तम कुमार वर्मा, तारणी पासवान, मुरारी पंडित आदि थे.
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