पौधा लगाकर पर्यावरण को बचायें
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कार्यशाला. बोहा पंचायत के भलसुंधिया गांव में मुख्य अतिथि ने कहा
पौधा लगाकर पर्यावरण को बचायें वनों का हमारे जीवन में काफी महत्व है. साथ ही पर्यावरण के लिए भी वनों का विशेष महत्व है. जलवायु परिवर्तन का कारक भी वनों की घटती संख्या बतायी जाती है. इसलिए हमें वनों को बचाने की जरूरत है. ताकि पर्यावरण को संतुलित रखा जा सके. पथरगामा : प्रखंड के […]
वनों का हमारे जीवन में काफी महत्व है. साथ ही पर्यावरण के लिए भी वनों का विशेष महत्व है. जलवायु परिवर्तन का कारक भी वनों की घटती संख्या बतायी जाती है. इसलिए हमें वनों को बचाने की जरूरत है. ताकि पर्यावरण को संतुलित रखा जा सके.
पथरगामा : प्रखंड के बोहा पंचायत के भलसुंधिया गांव में वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस अवसर पर विश्व वानिकी दिवस सह इको विकास वन्य प्राणी शिक्षा जागरूकता अभियान कार्यक्रम आयोजित करने पर बल दिया गया. कार्यक्रम की शुरुआत दीप जलाकर की गयी. पदम विभूषण पुरस्कार से सम्मानित सह मुख्य अतिथि पदम श्री सिरोम उरांव, डीडीसी रंजन चौधरी,
डीएफओ रामभरत, राजमहल परियोजना प्रबंधक अखिलेश पांडेय, जिप उपाध्यक्ष लक्ष्मी चक्रवर्ती, पथरगामा पूर्वी की जिप सदस्य फुलकुमारी ने दीप जलाकर उदघाटन किया. इस दौरान बतौर मुख्य वक्ता पदम श्री सिरोम उरांव ने कहा कि आज तेजी से वनों व बांध का हृास हो रहा है. उन्होंने वन व सिंचाई पर मुख्य रूप से फोकस किया. बताया कि इन्हें बचाने की जरूरत है. वन व सिंचाई दोनों आवश्यक पहलू है. सिंचाई के साधन होने से ही ों की रक्षा होगी. कहा कि वनों का महत्व है.पर्यावरण को शुद्ध किये जाने में वनों की भूमिका महत्वपूर्ण है. पर्यावरण को शुद्ध बनाने में वनों की भूमिका ही है.
वृक्ष कटायी पर भी रोक लगाने पर बल दिया. वहीं डीडीसी रंजन चौधरी ने कहा कि वनों के कटने से ही जीवों की कई प्रजातियां विलुप्त हो गयी है. इन्हें बचाने की जरूरत है.आज भी घने जंगलों में शेर, चीते दिखायी पड़ते हैं. हाल के दिनों में जंगलों की कटायी बड़े पैमाने पर हुई है. बांधों का आकार भी छोटा हुआ है. जिसके कारण सिंचाई के प्राकृतिक साधन घटे हैं. पर्यावरण संतुलन के लिए वनों को कटने से रोकना जरूरी है. जबकि इसीएल परियोजना के प्रबंधक अखिलेश पांडेय ने कहा कि वनों को बचाने के लिए योजनाओं को धरातल पर उतारा जाना जरूरी है.
वहीं डीएफओ रामभरत ने भी वनों की महत्ता पर प्रकाश डाला. साथ ही वनाच्छादित एरिया को बढ़ाने पर बल दिया. इसके लिए सामाजिक तौर पर जागरूकता होना जरूरी है.तभी समाज मे वनो को बचाने की दिशा मेें सार्थक प्रयास किया जा सकता है. यह पर्यावरण को शुद्ध बनाये जाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. इस दौरान गोड्डा वनक्षेत्र के पदाधिकारी कन्हैया राम आदि थे. कार्यक्रम का संचालन कवि राधेश्याम चौधरी ने किया.
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