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ओके::पुत्र ने पिता का शव नाली के पास फेंकाफ्लैग-महगामा में मानवीय संवेदना हुई तार-तार-समाज के लोगों ने कराया अंतिम संस्कार – मामला महगामा के रविदास टोला का – 75 वर्षीय बालदेव तनहा कर रहा था गुजर-बसर तसवीर- 17 में जीप पर लदी लाश अंतिम विदायी बालदेव की , 18 में पुलिस के साथ ग्रामीण आपस में चर्चा करते संवाददाता, गोड्डा/महगामाआपने पुराना वृक्ष देखा होगा वृक्ष पुराना होने के बाद थोड़ा झुक जाता है लेकिन फल उसमे लद कर आते हैं. यानी हर तरीके से हमे उस पेड़ से लाभ ही मिलता है. यह बात आज की युवा पीढ़ी को समझनी होगी. इस तेजी से बदलते दौर में मानवीय संवेदना का कोई मूल्य नहीं रह गया है. नयी पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के बीच अंतर देखने को मिल रहा है. इस कारण रिश्तों में कड़वाहट आ रही है. जिसके परिणाम के रूप में एकल परिवार का चलन देखा जा रहा है. अपने स्वार्थ की पूर्ति नहीं होने पर बेटा व बहू अपने माता-पिता का त्याग कर देते हैं. एक ऐसा ही मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाला मामला गोड्डा के महगामा में सोमवार को प्रकाश में आया. जिसमे रविदास टोला के एक बुर्जुग की मौत के बाद उसके पुत्र ने पिता का अंतिम संस्कार करने के बजाय शव को नाला में फेंक दिया. जिसके बाद समाज ने अपने दायित्व का निर्वहन करते हुये शव का अंतिम संस्कार किया. जानकारी के अनुसार महगामा के रविदास टोला का बालदेव रविदास अपने दो पुत्राें से खिन्न होकर इसीएल कॉलोनी में झोपड़ी बना कर तनहा जीवन व्यतीत कर रहा था. शनिवार देर रात उसकी तबीयत खराब हो गयी और वह चल बसा. उसके दो पुत्र हैं ऐतवारी रविदास व दुर्गा रविदास. पुत्र दुर्गा रविदास को पता चलने पर राजमहल परियोजना से छुट्टी लेकर कॉलोनी आया व अंतिम संस्कार की तैयारी में जुट गया. इसी जानकारी जब उसकी पत्नी को मिली तो वह वहां पहुंच गयी और इसका विरोध किया. उसकी पत्नी का कहना था कि बड़े भाई को अंतिम संस्कार करना चाहिए. हालांकि दुर्गा इसका विरोध कर रहा था. दोनों की लड़ाई में शव जस का तस धरा रह गया. सोमवार की सुबह दुर्गा ने पिता के शव को बड़े भाई के आवास के सामने रख आया. सुबह ऐतवारी ने घर के सामने पिता का शव देखते ही आग-बबूला हो गया और शव को नाली के किनारे फेंक आया. समाज के लोगों ने इस अमानवीय हरकत को देखकर महगामा थाना को सूचना दी. थाना के एएसआइ रामलाल टुडू मौके पर पहुंचे और स्थानीय लोगों के सहयोग से दाह संस्कार कराया. ……………………………………… आखिर कहां जा रहा है समाज महगामा में इस घटना को लेकर समाज में चर्चा हो रही है. आखिर हमारा समाज कहां जा रहा है. क्या रिश्तों का कोई मोल नहीं रह गया है. ऐसे कई सवाल के जबाव हमे ढ़ढने होंगे. वहीं मामले में चेंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष गोपाल केसरी, सचिव विभूति रंजन तथा संस्था के नवीन कुमार महतो के अलावा महगामावासियों में बीसू यादव, शुभू रविदास, बबलू रविदास, पंकज कुमार आदि ने कहा कि समाज के लोगों को ऐसे अमानवीय तथा असंवेदनशील मामले पर चिंतन करने की जरूरत है.

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