गोड्डा : दीपावली का त्योहार रोशनी का त्योहार है. इस त्योहार पर लोग अपने-अपने घरों को आकर्षक लाइटों से सजाते हैं. पहले जहां पारंपरिक साधन मिट्टी के दीये में घी या तेज डाल कर उपयोग किया जाता था.
वहीं महंगाई व अन्य कारणों से अब लोग मोमबत्ती व चाइनिज लाइटों का प्रयोग कर रहे हैं. इन दिनों बाजारों में चाइनीज लाइटों की भरमार है. समय के साथ व्यवस्था बदली और मिट्टी के दीये तथा कुप्पी बनाने वाले कुम्हकारों के समक्ष बड़ी चुनौती खड़ी हो गयी है. मिट्टी के दीये को लेकर एक माह पहले से कुम्हकार अपनी चाक ताबड़तोड़ चलाते हैं.
मगर कुम्हकारों के चाक की गति को अब चाइनिज लाइटों ने धीमा कर दिया है. पहले की अपेक्षा अब कुम्हकारों को होने वाले मुनाफे में कमी आयी है. हालांकि वस्तुओं के दर तथा बाजार में पेशे की घटती कीमत के कारण चंद पैसे में बिकने वाले दीये की कीमत बढ़ी है. मगर अन्य उत्पादनों से कम ही है.