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सुंदरपहाड़ी में बाॅक्साइट की हो रही तलाश

गोड्डा : सुंदरपहाड़ी प्रखंड के करमाटांड़ पंचायत के पहाड़ी इलाके में भारी मात्रा में बाॅक्साइट होने की संभावना जतायी गयी है. इसका पता लगाने के लिए दो सदस्यीय जियोलाॅजिकल टीम भी गोड्डा पहुंच चुकी है. हालांकि अभी तक ड्रीलिंग नहीं किया गया है. जिससे पता चल सके कि कितनी गहरायी में बॉक्साइट है. बता दें […]

गोड्डा : सुंदरपहाड़ी प्रखंड के करमाटांड़ पंचायत के पहाड़ी इलाके में भारी मात्रा में बाॅक्साइट होने की संभावना जतायी गयी है. इसका पता लगाने के लिए दो सदस्यीय जियोलाॅजिकल टीम भी गोड्डा पहुंच चुकी है. हालांकि अभी तक ड्रीलिंग नहीं किया गया है. जिससे पता चल सके कि कितनी गहरायी में बॉक्साइट है. बता दें कि एल्यूमीनियम का मुख्य स्रोत वाला अयस्क है बॉक्साइट. अब तक झारखंड के रांची व पलामू के पहाड़ी इलाके में यह पाया गया है. सुंदरपहाड़ी में इसकी संभावना को तलाशने के लिए मुंबई से एक टीम पहुंची है.

जेमको कटिंग नामक कंपनी के प्रोजेक्ट काे-आर्डिनेटर दिनेश गायकबाड के साथ दस कर्मी ड्रील मशीन लेकर पहुंचे हैं. पहाड़ के जमरी गांव के स्कूल में टीम कैंप कर रही है. दो दिनों के अंदर पता चल जायेगा कि इस इलाके के पहाड़ी में कितनी गहरायी में बॉक्साइट है. टीम के साथ भारत सरकार भूगर्भ विभाग के भू-गर्भशास्त्री देव कुमार गुप्ता व विश्वजीत भी साथ साथ काम कर रहे हैं.

2012-13 के सर्वे में पता चला
जिंदल कंपनी की ओर से 2012-13 में इस इलाके में कोयला के भंडारण के लिए सर्वे कराया गया था. जमीन में कोयले का पता लगाने के क्रम में कंपनी को पता चला कि इस क्षेत्र में भारी मात्रा में बॉक्साइट जमीनदोज हैं. सर्वे टीम ने यह भी बताया था कि यहां करीब दस किमी के दायरे में कोयला व बॉक्साइट दोनों है. इस सर्वे के बाद टीम ने केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपी. केंद्र ने तत्परता दिखायी और उसी समय सर्वे के लिए टीम को सुंदरपहाड़ी भेजा. पांच वर्षों तक लगातार सर्वे किया गया. इसके बाद कुछ दिन पूर्व भूगर्भ वैज्ञानिक को गोड्डा भेजा गया.
कुछ दिन पहले वन विभाग को हुई जानकारी
स्थानीय घटियारी, करमाटांड व आसपास के ग्रामीण तथा प्रबुद्ध वर्ग ने बताया कि जियोलाॅजिस्ट के आने के बाद वन विभाग को इस बात की जानकारी हुई. वन विभाग को जानकारी के बाद वन परिक्षेत्र की गणना करना प्रारंभ कर दी है.
करीब सात किमी दायरे में ऊंचे पहाड़ पर हो सकता है बाॅक्साइट
करमाटांड के आसपास जमरी, गडरमा, पकोड़िया, चचाम, आदि ऐसे पहाड़िया गांव ऊंची पहाड़ पर बसा है. करीब सात किमी दायरे में बॉक्साइट होने की संभावना बतायी जा रही है. स्थानीय ग्रामीणों में ओलर सोरेन, प्रधान हांसदा, नारायणी मरांडी, सेमुएल हांसदा आदि ने केवल बताया कि उसे भी इस बात की जानकारी मिली है.
ड्रीलिंग के बाद ही कुछ पता चलेगा
”कैंप लगाने के बाद दो दिनों में ड्रील कर इस बात की जानकारी ली जायेगी कि बाॅक्साइट की क्या स्थिति है. अभी कुछ भी नहीं बताया जा सकता है.
– दिनेश गायकबाड, प्रोजेक्ट काे-ऑर्डिनेटर जेमको कटिंग कंपनी
” अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है. केंद्र सरकार का निर्देश है, बाॅक्साइट होने के संभावनाओं की तलाश में गोड्डा आया हूं.
– देव कुमार गुप्ता, जियोलाॅजिस्ट.

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