गोड्डा : गोड्डा के बढ़ौना गांव के रहने वाले मजदूर विपिन राउत की मौत गोवा में हो गयी. मंगलवार को विपिन का शव गांव पहुंचा. मिली जानकारी के अनुसार विपिन की मौत शनिवार को ही हो गयी थी. वहां वह मजदूरी करता था. उसके पिता लुरी राउत भी गांव में मजदूरी का काम करते हैं. […]
गोड्डा : गोड्डा के बढ़ौना गांव के रहने वाले मजदूर विपिन राउत की मौत गोवा में हो गयी. मंगलवार को विपिन का शव गांव पहुंचा. मिली जानकारी के अनुसार विपिन की मौत शनिवार को ही हो गयी थी. वहां वह मजदूरी करता था. उसके पिता लुरी राउत भी गांव में मजदूरी का काम करते हैं. मुफलिसी व पुत्र की मौत ने उन्हें झकझोर दिया है.
विपिन की कमाई से घर चलता था. गांव में मातम है. विपिन तकरीबन डेढ़ माह पहले ही काम के अभाव में मजदूरी करने गया था. भवन निर्माण के दौरान ही उसकी मौत हो गयी. पुत्र के मौत से परिजन अत्यंत मर्माहत हैं. लुरी ने बताया कि मृतक को दो पुत्र हैं. दो साल पूर्व ही शादी हुई थी. पिता ने बताया कि वह अपने पुत्र को बाहर काम करने जाने से रोकते थे. लेकिन काम के लिये ही वह बाहर चला गया.
2015 में बारात गाड़ी के पलटने से लुरी राउत के पुत्र की जा चुकी है जान
लुरी राउत का एक और पुत्र की मौत वर्ष 2015 में भटौंधा के पास बारात वाहन के पलटने से हो गयी थी. यह बड़ा बेटा था. दो पुत्र को खोने के बाद लुरी टूट गये हैं. वह इसे अपनी विडंबना के रूप में देख रहा है. दो साल के अंदर ही दूसरे पुत्र की भी जान चली गयी है. गांव में इस बात की चर्चा लोगों के बीच होती रही.
एक और मजदूर की मौत हो चुकी है गोवा में
इसके पूर्व भी छह साल पूर्व गोवा में ही बढौना गांव के एक अन्य मजदूर की मौत हुई थी. वह भी भवन निर्माण में लगा था. इसी दौरान भवन गिर गया था.
काम के अभाव में कर रहे गोवा पलायन
पिता लुरी राउत ने बताया कि यहां काम के लिये घूमता था. काम के अभाव में ही वह गोवा कमाने चला गया था. हालांकि मजदूर का जॉब कार्ड आदि बना हुआ है. घटना से आहत परिजन नहीं ढूंढ पाये. हालांकि काम के लिये पलायन का मामला जिले के लिये नया नहीं है. काम के अभाव में हर साल जिले से हजारों मजदूरों का पलायन होता है.
यहां के कई आदिवासी परिवार काम की तलाश में ही बंगाल जाते है. या फिर हरियाणा, गाजियाबाद व युपी जाते हैं. यहां सालों भर काम नहीं मिल पाने से मजदूर काम की तलाश में अक्सर दूसरे प्रदेशों का रुख करते हैं. खेती बारी के बाद जिले के कई गांवों से हजारों मजदूरों का पलायन होता है. जिसको रोकने में जिला प्रशासन विफल रहती है. कहने तो पंचायत में मजदूरों के लिए बहुत काम है, लेकिन सही सही मजदूरी नहीं मिलने के कारण पलायन कर रहे हैं.