पथरगामा : गोड्डा जिले में पथरगामा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत पथरगामा कुपोषण उपचार केंद्र संचालित है. इन दिनों कुपोषण उपचार केंद्र खुद ही कुपोषित हो चुका है. बिना चिकित्सक के यह केंद्र करीब तीन वर्षों से एएनएम के भरोसे संचालित है. कुपोषण उपचार केंद्र में बच्चों को डॉक्टर के बिना बेहतर स्वास्थ्य का लाभ मिलना […]
पथरगामा : गोड्डा जिले में पथरगामा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत पथरगामा कुपोषण उपचार केंद्र संचालित है. इन दिनों कुपोषण उपचार केंद्र खुद ही कुपोषित हो चुका है. बिना चिकित्सक के यह केंद्र करीब तीन वर्षों से एएनएम के भरोसे संचालित है. कुपोषण उपचार केंद्र में बच्चों को डॉक्टर के बिना बेहतर स्वास्थ्य का लाभ मिलना कहना बेईमानी होगी.
तीन वर्षों से चिकित्सक विहीन उपचार केंद्र को एएनएम रतना कुमारी, नम्रता कुमारी, सावित्री सोरेन, पिंकी कुमारी की देख-रेख में संचालित किया जा रहा है. चारों एएनएम अलग-अलग शिफ्ट में केंद्र में भर्ती कुपोषित बच्चों के खान-पान के अलावा इलाज व देख-रेख करती है.
2013 में खोला गया था केंद्र : सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद पथरगामा सीएचसी परिसर में कुपोषण उपचार केंद्र वर्ष 2013 में खोला गया था. महिला चिकित्सक डॉ दिव्या के वर्ष 2014 में स्थानांतरण होने के बाद से अब तक कुपोषण केंद्र को चिकित्सक नहीं मिल पाया है.
10 बेड की क्षमता वाले केंद्र में मात्र पांच बेड : केंद्र खुलने के बाद से पांच ही बेड की व्यवस्था केंद्र में की गयी थी. अब तक पांच बेड की व्यवस्था केंद्र में सुनिश्चित नहीं करायी जा सकी है.
इलाजरत मिले पांच बच्चे
यहां पांच कुपोषित बच्चों को भर्ती कर इलाज व पौष्टिक आहार दिया जा रहा है. दाढ़ीघाट गांव के सोलह माह का मणिलाल, चौरा गांव की एक वर्ष की सबीता कुमारी, दो वर्ष की सोनी कुमारी, चिलकारा गांव का ग्यारह माह का पिंटू कुमार तथा चंडीचक गांव का पांच माह का विशु इलाजरत है. बताया कि वर्ष 2017 के जुलाई माह में पांच बच्चे, जून माह में पांच बच्चे, मई माह में पांच बच्चे, अप्रैल माह में चार बच्चों का इलाज केंद्र में कराया गया है.
तीन वर्षों से बिना चिकित्सक ही केंद्र का हो रहा संचालन
कुपोषण उपचार केंद्र के मसले को लेकर जिला को पत्राचार किया गया है. चिकित्सक नहीं रहने को लेकर कई बार लिखा गया है. जिला से बेड मुहैया कराये जाने के बाद लगाया जायेगा. उपचार केंद्र में अलग-अलग समय में चार एएनएम के द्वारा कुपोषित बच्चों की देखभाल की जा रही है.
-डॉ पीएन दर्वे, चिकित्सा प्रभारी.