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आबादी सात सौ, चापकल केवल दो, कैसे बुझे प्यास

जनप्रतिनिधि विकास के भले लाख दावे कर लें, लेकिन आज भी जिले के कई ग्रामीण इलाकों में बिजली, सड़क समेत कई मूलभूत समस्याएं मुंह बाये खड़ी हैं. ऐसी ही एक पंचायत डुमरी प्रखंड की पोरैया का हाल जानने गुरुवार को प्रभात खबर पहुंचा. प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम के तहत यहां के लोगों ने अपनी […]

जनप्रतिनिधि विकास के भले लाख दावे कर लें, लेकिन आज भी जिले के कई ग्रामीण इलाकों में बिजली, सड़क समेत कई मूलभूत समस्याएं मुंह बाये खड़ी हैं. ऐसी ही एक पंचायत डुमरी प्रखंड की पोरैया का हाल जानने गुरुवार को प्रभात खबर पहुंचा. प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम के तहत यहां के लोगों ने अपनी समस्याओं का खुलकर जिक्र किया.
डुमरी़ : डुमरी प्रखंड के मुख्यालय से करीब दस किमी दूर स्थित पोरैया पंचायत के आदिवासी बहुल फुलवार व पिपराडीह में पेयजल संकट विकराल रूप ले चुका है़ दोनों गांवों की करीब सात सौ आबादी की प्यास केवल दो चापाकल के सहारे प्यास बुझ रही है़. करीब डेढ़ सौ की आबादी वाले फुलवार व साढ़े पांच सौ की आबादी वाले पिपराडीह में एक-एक चापाकल ही ठीक है़.
फुलवार में दो चापानल से पानी निकलता है, लेकिन का का पानी पीने लायक नहीं है. वहीं पिपराडीह में सात में छह चापाकल खराब है़ं. गरमी के कारण दोनों गांव के कुएं सूख चुके हैं. इस कारण चापानल में सुबह से देर रात तक पानी के लिए भीड़ जमा रहती है़ इसके बाद कभी विभाग ने चापानल मरम्मत कराने की दिशा में पहल नहीं की़ पेयजल के लिए ग्रामीण रतजगा करने को विवश है़ं. पानी नहीं मिल पाने के कारण मवेशियों का भी बुरा हाल है .
गांव में एक चापानल रहने के कारण लोगों को भारी परेशानी करना पड़ रहा है़ एक अन्य चापानल से गंदा पानी निकलता है, जो किसी काम का नहीं है़.
उपासी कुमारी,फुलवार
गांव में पांच चापानल में तीन खराब है और एक से गंदा पानी निकलता है़ एक चापानल ही ठीक है, इस कारण चापानल में पेयजल के लिए कई बार लड़ाई भी होती है़.
रतनी देवी,फुलवार
यह गांव आदिवासी बहुल है. पानी के लिए देर रात तक चापानल के पास रहना पड़ता है़ पानी के इंतजाम में बच्चे अपनी पढ़ाई भी नहीं कर पाते है़ ं काफी दिक्कत होती है
आरती कुमारी, फुलवार
मार्च माह से ही ग्रामीण पानी के लिए भटकते है़ं गांव में करीब डेढ़ सौ घर है़ं यहां के अधिकांश कुएं सूख गये है़ं इसलिए चापानल में हमेशा भीड़ रहती है़.
सुगिया देवी,पिपराडीह
गांव में एक चापानल ठीक रहने के कारण पानी भरने के लिए आपाधापी रहती है़. बहुत समय पानी की व्यवस्था में ही बर्बाद हो जाता है़. जानवरों को भी दिक्कत हो रही है़.
फगुनी देवी, पीपराडीह
स्थानीय जन प्रतिनिधियों को पेयजल संकट की ओर ध्यान देना चाहिए़.स्कूल का भी चापानल खराब है़ इससे सभी को परेशानी होती है़.
बिंदुआ देवी, पीपराडीह

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