तिसरी : प्रखंड मुख्यालय स्थित मिशन स्कूल का भवन जजर्र हो गया है. इस कारण छात्र–छात्राएं खुले आसमान व पेड़ के नीचे बैठ कर पढ़ाई करने को विवश है.
सरकारी सहायता प्राप्त मिशन स्कूल कई समस्याओं से जूझ रहा है. समस्याओं के निदान के लिए कई बार प्रधानाध्यापक दीपक मंडल ने शिक्षा विभाग, जिला प्रशासन व विधायक –सांसद से गुहार लगायी है. लेकिन अभी तक विद्यालय की स्थिति जस की तस है. स्कूल में कक्षा एक से आठ तक की पढ़ाई होती है.
स्कूल में शौचालय नहीं रहने से बच्चियों को काफी परेशानी होती है. विद्यालय में 317 छात्र–छात्राएं अध्ययनरत हैं. लेकिन बैठने के लिए मात्र 15 बेंच व डेस्क ही है. बेंच व डेस्क की कमी रहने से छात्र–छात्राएं जमीन में बैठ कर पढ़ाई करने को विवश है. वहीं शिक्षकों की कमी रहने से भी पढ़ाई प्रभावित हो रही है.
किचन निर्माण के लिए जुलाई में ही राशि स्वीकृत की गयी. लेकिन जेइ की लापरवाही से अभी तक ले आउट नहीं बन पाया है. रसोइया का मानदेय एक वर्ष से लंबित है. बता दें कि वर्ष 1918 में मिशन स्कूल की स्थापना की गयी थी. वर्ष 1964 में सरकार ने सहायता देनी शुरू की. उसी समय शिक्षकों को संस्था से आधा और सरकार से आधा वेतन दिया जाता था.
छात्र रागिनी रानी, सुजाता कुमारी तथा छात्र सूरज सोरेन व अमन कुमार का कहना है कि विद्यालय में नये भवन का निर्माण होना चाहिए. वहीं डेस्क व बेंच की व्यवस्था नहीं रहने से जमीन पर बैठ कर पढ़ाई करनी पढ़ रही है. साथ ही शिक्षक की कमी रहने से पढ़ाई भी बाधित हो रही है.