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एक-दूसरे का दुर्ग भेदने की तैयारी में जुटे हैं प्रत्याशी
राकेश सिन्हा गिरिडीह : जैसे-जैसे मतदान की तिथि नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे प्रत्याशियों की धड़कनें तेज हो रही है. साथ ही एक-दूसरे के दुर्ग को भेदने की होड़ भी प्रत्याशियों में मची हुई है. हालांकि कौन किसका दुर्ग भेदेगा यह तो भविष्य ही बतलायेगा. मतदाताओं का कहना है कि चुनाव के समय प्रत्याशी […]
राकेश सिन्हा
गिरिडीह : जैसे-जैसे मतदान की तिथि नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे प्रत्याशियों की धड़कनें तेज हो रही है. साथ ही एक-दूसरे के दुर्ग को भेदने की होड़ भी प्रत्याशियों में मची हुई है. हालांकि कौन किसका दुर्ग भेदेगा यह तो भविष्य ही बतलायेगा.
मतदाताओं का कहना है कि चुनाव के समय प्रत्याशी वायदे तो करते हैं, पर उसे पूरा नहीं करते. यही कारण है कि गिरिडीह समस्याओं के मकड़जाल में फंसा हुआ है. गिरिडीह सीट पर कब्जा जमाने के लिए मुख्य राजनीतिक दलों ने एड़ी-चोटी एक कर दी है. भाजपा से निर्भय शहाबादी, जेएमएम से सुदिव्य कुमार सोनू और झाविमो से बाबूलाल मरांडी समेत कुल 13 प्रत्याशी इस सीट पर अपना भाग्य आजमा रहे हैं.
लेकिन इस बार भी वोटों का ध्रुवीकरण पिछले चुनाव की तरह त्रिकोणीय होता नजर आ रहा है. भाजपा, जेएमएम और झाविमो की नजर एक-दूसरे के गढ़ पर टिकी हुई है. कैसे वोटों में सेंधमारी की जाये इसका भी प्रयास किया जा रहा है. जहां भाजपा गिरिडीह में हुए लोकसभा चुनाव की तरह अपने समर्थकों को एकत्र करने में जुटी हुई है, वहीं झारखंड मुक्ति मोरचा भी पीरटांड़ के अलावा गिरिडीह मुफस्सिल क्षेत्र के गांवों और शहरी क्षेत्र पर निशाना लगाना शुरू कर दिया है. बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान गिरिडीह विधान सभा सीट पर भाजपा ने 69,816 मत हासिल किया था, वहीं जेएमएम को 49,023 मत व जेवीएम को 11,066 मत मिला था.
भाजपा के स्टार प्रचारकों ने झोंकी ताकत : भाजपा ने वोटरों को गोलबंद करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. अब तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी, केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास समेत कई प्रांतीय स्तर के नेता गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में चुनावी सभा को संबोधित कर चुके हैं. वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र राय लगातार गिरिडीह में जनसंपर्क अभियान भी चला रहे हैं. शहरी क्षेत्र में भाजपा समर्थकों को एकजुट रखने को लेकर जहां पार्टी सतर्क है, वहीं पीरटांड़ में जेएमएम के मतों की सेंधमारी का प्रयास अब तेज कर दिया गया है.
पीरटांड़ के इलाके में वोटरों को अपने पक्ष में लाने के लिए भाजपा ने आजसू में रहे मनोज साहू को क्षेत्र में उतारा है. श्री साहू आजसू से जेएमएम में शामिल हुए थे. फिर उन्होंने पिछले दिनों भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली. अब श्री साहू भाजपा के प्रत्याशी श्री शहाबादी के लिए क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं.
पीरटांड़ में जेएमएम ने की मोरचाबंदी : जेएमएम का गढ़ पीरटांड़ माना जाता रहा है. अपने वोटों के बिखराव को रोकने के लिए जेएमएम ने मजबूत मोरचाबंदी कर रखी है. विदित हो कि लोकसभा चुनाव में पीरटांड़ में जेएमएम ने 16,381 मत हासिल किया था. जबकि भाजपा को मात्र 11,970 मतों पर ही संतोष करना पड़ा था. गिरिडीह शहरी क्षेत्र में जेएमएम को 12,115 और बीजेपी को 27,371 मत हासिल हुआ था.
गिरिडीह मुफस्सिल क्षेत्र में जेएमएम को 20,527 और भाजपा को 30,475 मत मिला था. पीरटांड़ के इलाके से अपना वोट बढ़ाने के लिए जेएमएम के सुप्रीमो शिबू सोरेन और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का दौरा हो चुका है. जेएमएम के प्रत्याशी श्री सोनू ने शहरी क्षेत्र में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी है. पिछले दिनों श्री सोनू ने पचंबा, न्यू बरगंडा, बरमसिया, चंदौरी रोड, भंडारीडीह, मकतपुर, बाभनटोली, आइसीआर रोड में जनसंपर्क अभियान चला कर लोगों को जोड़ने का प्रयास किया है.
विक्षुब्ध भाजपाइयों पर झाविमो की नजर : गिरिडीह विधान सभा सीट पर झाविमो से स्वयं बाबूलाल मरांडी चुनाव लड़ रहे हैं. इन्होंने इस क्षेत्र में अचानक अपनी गतिविधियां बढ़ा दी है. पीरटांड़ के इलाके में तीन-तीन चुनावी सभा करने के बाद गुरुवार से रोड शो शुरू कर दिया है. आदिवासी वोटरों को अपने पक्ष में करने के साथ-साथ मुसलिम वोटरों को भी अपनी ओर खींचने के लिए श्री मरांडी अपने समर्थकों के साथ लगातार अभियान चला रहे हैं.
वहीं विक्षुब्ध भाजपाइयों पर भी झाविमो की नजर है. बताया जाता है कि भाजपा से निर्भय शहाबादी को टिकट मिलने के बाद टिकट के अन्य दावेदार नाराज चल रहे हैं. टिकट की दावेदारी कर चुके भाजपा के पूर्व मंत्री चंद्रमोहन प्रसाद, जयप्रकाश लाल व विनोद सिन्हा को किसी भी बड़े कार्यक्रमों में नहीं देखा गया. बताया जाता है कि इनमें से एक विक्षुब्ध अंदर ही अंदर जेवीएम को मदद भी कर रहा है. वहीं नगर पर्षद के अध्यक्ष दिनेश यादव के नेतृत्व में लगातार जनसंपर्क अभियान भी चलाया जा रहा है.
मुसलिम मत निर्णायक साबित होगा : इस बार विस चुनाव में मुसलिम समुदाय का मत निर्णायक साबित होगा. मुसलिम वोटरों पर जेएमएम और जेवीएम दोनों की नजर है. माना जा रहा है कि यदि जेएमएम और जेवीएम के बीच इस वोट बैंक के मतों का बिखराव हुआ तो इसका सीधा लाभ भाजपा को मिलेगा. ऐसे में जेएमएम और जेवीएम दोनों ही इस वोट बैंक को अपने पक्ष में ध्रुवीकरण कराने को लेकर काफी सचेत दिख रहे है. अब देखने वाली बात होगी कि इस चुनावी दंगल में कौन किसके दुर्ग को भेदने में सफल हो पाता है.
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