गिरिडीह : हौसला बुलंद हो तो इंसान बड़ी से बड़ी कामयाब़ी हासिल कर सकता है और इसमें उम्र कोई बाधा नहीं बनती. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है गिरिडीह की 13 वर्षीय चंपा ने. चंपा को मंगलवार को राज्य की राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू ने राजभवन में सम्मानित किया है. उसे गत एक जुलाई को यूनाटेड किंगडम का प्रतिष्ठित डायना अवार्ड मिला है.
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गिरिडीह की 13 वर्षीया चंपा को राज्यपाल ने किया सम्मानित
गिरिडीह : हौसला बुलंद हो तो इंसान बड़ी से बड़ी कामयाब़ी हासिल कर सकता है और इसमें उम्र कोई बाधा नहीं बनती. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है गिरिडीह की 13 वर्षीय चंपा ने. चंपा को मंगलवार को राज्य की राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू ने राजभवन में सम्मानित किया है. उसे गत एक जुलाई को यूनाटेड […]
बता दें कि कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन (केएससीएफ) की ओर से गिरिडीह जिले में संचालित बाल मित्र ग्राम (बीएमजी) की सदस्य चंपा ने बाल पंचायत सदस्यों के साथ मिलकर अपने गांव में दो बाल विवाह को रुकवाने में सफलता हासिल की. इसके अलावा वह गांव के बच्चों के लिए शिक्षा, सुरक्षा और स्वच्छता का बंदोबस्त करने में भी अग्रणी भूमिका निभा रही है. चंपा के गांव गांवा प्रखंड के जमडार गांव में बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत किसी ने नहीं दिखायी थी. इस साहसिक कार्य को अंजाम देने के लिए चंपा को काफी परेशानी झेलनी पड़ी.
चंपा के डायना अवार्ड और राज्यपाल द्वारा सम्मानित होने पर केएससीएफ (बीएमजी) की कार्यकारी निदेशक मालती ने कहा कि झारखंड राज्य बाल पंचायत के अध्यक्ष के नाते चंपा ने अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया है. चंपा ने यह सुनिश्चित किया है कि उसके गांव और पड़ोसी गांवों में एक और जहां एक भी बाल मजदूर नहीं है, वहीं दूसरी और वहां बाल विवाह का भी कोई मामला अब देखने को नहीं मिलता है. यह हमारे बाल मित्र ग्राम के सामूहिक प्रयासों का ही नतीजा है कि बाल अधिकार और समुदाय का सशक्तीकरण सुनिश्चित हुआ है. चंपा सही मायने में बदलाव की निर्माता है.
सामाजिक बदलाव में असाधारण योगदान के लिए मिलता है अवार्ड
बताया कि युनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) सरकार की ओर से दिया जाने वाला डायना अवार्ड वेल्स की राजकुमारी डायाना की स्मृति को जिंदा रखने के लिए प्रत्येक साल दिया जाता है. इस सम्मान से नौ से 25 साल की उम्र के उन बच्चों और युवाओं को सम्मानित किया जाता है, जिन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय देते हुए सामाजिक बदलाव लाने में असाधारण योगदान दिया है. दुनिया बदलने की दिशा में उसने नयी पीढ़ी को प्रेरित और गोलबंद किया हो और इस तरह से लोगों का विश्वास उसमें बढ़ा हो. चंपा इस साल भारत के उन 25 बच्चों में शामिल है, जिसे इस सम्मान से नवाजा गया है.
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