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मलयेशिया में फंसे मजदूरों ने भेजा त्राहिमाम संदेश
गोमिया/बगोदर : बोकारो, गिरिडीह, धनबाद और हजारीबाग से ताल्लुक रखने वाले 11 मजदूरों ने मलयेशिया से अपनी वतन वापसी की गुहार लगायी है. परदेस में फंसे मजदूरों की वतन वापसी की आवाज तो कई मंचों-मोर्चों से उठ चुकी है, लेकिन इन मंचों को बेअसर होता देख असहाय मजदूरों ने अब सोशल मीडिया का सहारा लिया […]
गोमिया/बगोदर : बोकारो, गिरिडीह, धनबाद और हजारीबाग से ताल्लुक रखने वाले 11 मजदूरों ने मलयेशिया से अपनी वतन वापसी की गुहार लगायी है. परदेस में फंसे मजदूरों की वतन वापसी की आवाज तो कई मंचों-मोर्चों से उठ चुकी है, लेकिन इन मंचों को बेअसर होता देख असहाय मजदूरों ने अब सोशल मीडिया का सहारा लिया है. लाचार मजदूरों ने अब सोशल मीडिया के माध्यम से केंद्र व झारखंड सरकार के नाम त्राहिमाम संदेश भेजा है. यह वीडियो दुस्साहसी दलाल तंत्र और मजदूरों की ट्रेजेडी को सामने लाता है.
दलालों के जाल में फंस कर हुआ हाल : यह कोई पहला मौका नहीं, जब दलालों के चक्कर में पड़ कर गरीब तबके के लोग विदेशों में फंस गये हैं. पूर्व में भी ऐसे कई मामले सामने आये हैं. इस मामले में भी दलालों ने मजदूरों को ज्यादा पैसे का लालच देकर मलयेशिया पहुंचा दिया. जब वहां काफी कम पारिश्रमिक पर काम कराया जाने लगा तो मजदूर ठगा महसूस करने लगे. तेल फैक्टरी में काम करने की बात कह कर ले जाया गया और लिया जा रहा जंगलों में टावर लगाने का काम.
सर्वाधिक मजदूर बोकारो के : वतन वापसी की गुहार लगानेवाले 11 मजदूरों में बोकारो जिला के चतरोचट्टी थाना क्षेत्र के हुरलूंग के मो. साबिर अंसारी, बालदेव पंडित, तिलेश्वर पटेल, सौरभ कुमार महतो, टेकलाल महतो, चतरोचट्टी थाना क्षेत्र के ही सिधाबारा के सरजू महतो, हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ थाना क्षेत्र के नागी के रहनेवाले संजय महतो व धनबाद जिले के तोपचांची के रहनेवाले संजय महतो तथा गिरिडीह के तीन मजदूर शामिल हैं.
कंपनी का प्रोफाइल : फेल्डा टेक्नोप्लांट पूरी तरह फेल्डा होल्डिंग के स्वामित्व की कंपनी है. यह पाम ऑयल व रबड़ प्लांटेशन मैनेजमेंट का काम करती है.
मेरा काम था मजदूरों को पहुंचाना, अब अपना काम वे खुद करें : एजेंट
वायरल वीडियो में मजदूरों ने कहा है कि उन्हें चेन्नई के राजकुमार व पी कुमार एजेंट के माध्यम से इसी साल के मार्च में मलयेशिया के फ़ेल्डा टेक्नोप्लांट की तेल फैक्टरी में काम करने की बात कह कर लाया गया था. यहां उनसे जंगल में काम लिया जा रहा है. एजेंट ने 20 हज़ार रु वेतन देने की बात कही थी. वास्तविकता यह है कि बंधक बने मजदूरों को मात्र 12-13 हज़ार रु दिये जाते हैं.
lइनका पासपोर्ट, वीजा तो कंपनी ने जब्त कर ही लिया, अब रहने की जगह व खाने में कटौती की जाने लगी है. एजेंट भी अब उनकी कोई सुध नहीं ले रहा. एजेंट ने कहा मेरा काम था मजदूरों को लाना, अब अपनी समस्या खुद सुलझाएं मजदूर. अब तो एजेंट फोन भी रिसीव नहीं करता.
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