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शिक्षक नियुक्ति में नियमों की अनदेखी

गड़बड़ी. सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी से हुआ खुलासा गढ़वा : कोडरमा के बाद गढ़वा में भी शिक्षक नियुक्ति मामले में गड़बड़ी का मामला सामने आया है. सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मिली सूचना से पता चला है कि छह शिक्षकों की नियुक्ति में स्थानीय पदाधिकारियों ने नियमों की अनदेखी की. […]

गड़बड़ी. सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी से हुआ खुलासा
गढ़वा : कोडरमा के बाद गढ़वा में भी शिक्षक नियुक्ति मामले में गड़बड़ी का मामला सामने आया है. सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मिली सूचना से पता चला है कि छह शिक्षकों की नियुक्ति में स्थानीय पदाधिकारियों ने नियमों की अनदेखी की. दस्तावेज बताते हैं कि पहली बार इंटरव्यू के लिए पेश हुए अभ्यर्थियों में से पांच ने अपने शैक्षणिक प्रमाण पत्र जमा नहीं किये. एक तो इंटरव्यू के लिए तय समय के भीतर उपस्थित ही नहीं हुआ. बाद में अलग से कॉलम बना कर उसे उपस्थित दर्शाया गया है. यह मामला विधानसभा में भी उठ चुका है.
हालांकि, डीएसइ ने कहा है कि नियुक्तियां नियमों के तहत हुई हैं. वर्ष 2015 में स्नातक शिक्षक नियुक्ति के लिए 18 सितंबर को पहली बार इंटरव्यू हुआ. इसमें गैर पारा कला में सात लोग उपस्थित हुए. इनमें से पांच दीपक कुमार, प्रभाकर कुमार, मोनी शर्मा, स्मृति तिर्की एवं रंजन रजक ने इंटरव्यू के दौरान अपने शैक्षणिक कागजात जमा नहीं किये.
वहीं सुमन कुमार बेसरा तय समय के बाद इंटरव्यू के लिए उपस्थित हुए. नियुक्ति प्रक्रिया की नियमावली 17, झारखंड सरकार मानव संसाधन विकास विभाग, प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के पत्रांक-8/नि01-01-2013-1142 के 17(छह) अनुसार अंतर्वीक्षा में मूल प्रमाण पत्रों के साथ उपस्थित नहीं होनेवाले आवेदकों के आवेदन को रद्द कर देने का प्रावधान था.
लेकिन, डीएसइ के मौखिक आदेश पर पदाधिकारियों ने सभी पांच अभ्यर्थियों को एक-एक सप्ताह का समय दे दिया. इस बात को अंतर्वीक्षा पंजी में दर्ज भी किया गया है. यहां बताना प्रासंगिक होगा कि 18 सितंबर को इंटरव्यू देने के बाद दीपक कुमार ने 21 सितंबर को शैक्षणिक कागजात जमा कराये. इसी तरह अन्य अभ्यर्थियों ने भी कई दिनों के बाद कागजात जमा किये. उधर, नि:शक्त अभ्यर्थी सुमन कुमार बेसरा के बारे में अंतर्वीक्षा पंजी में बताया गया है कि उसने 5:10 बजे इंटरव्यू दिया, जबकि पूरी प्रक्रिया सुबह 10:30 बजे से शाम पांच बजे तक पूरी होनी थी.
डीइओ, डीएसइ ने की नियमों की अनदेखी
आरटीआइ कार्यकर्ता अजय कुमार उपाध्याय को शिक्षा विभाग ने जो जानकारी दी है, उसमें इस बात का जिक्र है कि डीइओ और डीएसइ की अनुमति से सारे काम हुए. हालांकि, शिक्षक नियुक्ति नियमावली 17(सात) के तहत समय के बाद किसी को अंतर्वीक्षा में शामिल कराने का अधिकार सिर्फ उपायुक्त को है.
नि:शक्तता प्रमाण पत्र दूसरे जिले का
सिमडेगा के रहनेवाले नि:शक्त अभ्यर्थी सुमन कुमार बेसरा की भी नियुक्ति हुई है. वह सिमडेगा के रहनेवाले हैं और उनका नि:शक्तता प्रमाण पत्र खूंटी से बना है. प्रमाण पत्र अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी ने जारी किया है, जबकि भारत सरकार के गजट में स्पष्ट उल्लेख है कि सरकारी नौकरी के लिए सिर्फ गृह जिले के सिविल सर्जन द्वारा बनाया गया नि:शक्तता प्रमाण पत्र ही मान्य होगा.
विधानसभा में उठा था मामला
इस मामले को स्थानीय विधायक सत्येंद्रनाथ तिवारी ने विधानसभा में भी उठाया. सदन में उन्हें जवाब दिया गया कि सुमन कुमार बेसरा को 5:05 बजे इंटरव्यू के लिए बुलाया गया, जबकि आधिकारिक पंजी में उनकी उपस्थिति का समय 5:10 बजे दर्ज है.
नियमसंगत प्रक्रिया अपनायी गयी : डीएसइ
जिला शिक्षा अधीक्षक बृजमोहन कुमार ने कहा है कि शिक्षक नियुक्ति में नियमसंगत प्रक्रिया अपनायी गयी है. उन्हें इंटरव्यू देनेवाले अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र बाद में लेने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि सुमन कुमार बेसरा के मामले में मानवीय पक्ष को देखा गया है.
क्या है नियम
1. नियुक्ति प्रक्रिया की नियमावली 17, झारखंड सरकार मानव संसाधन विकास विभाग, प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के पत्रांक-8/नि01-01-2013-1142 के 17(छह) में कहा गया है कि अंतर्वीक्षा में मूल प्रमाण पत्रों के साथ उपस्थित नहीं होनेवाले आवेदकों के आवेदन को रद्द कर दिया जाये.
2. शिक्षक नियुक्ति नियमावली 17(सात) के तहत समय के बाद किसी को अंतर्वीक्षा में शामिल कराने का अधिकार सिर्फ उपायुक्त को है.
3. भारत सरकार के गजट में स्पष्ट उल्लेख है कि सरकारी नौकरी के लिए सिर्फ गृह जिले के सिविल सर्जन द्वारा बनाया गया नि:शक्तता प्रमाण पत्र ही मान्य होगा.
उल्लंघन
1. डीइओ और डीएसइ के मौखिक आदेश पर पदाधिकारियों ने पांच अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के बाद कागजात जमा करने के लिए एक-एक सप्ताह का समय दे दिया. इस बात को अंतर्वीक्षा पंजी में दर्ज भी किया गया है.
2. डीइओ और डीएसइ के मौखिक आदेश पर समय बीत जाने के बाद एक अभ्यर्थी को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया.
3. सिमडेगा के नि:शक्त अभ्यर्थी सुमन कुमार बेसरा का नि:शक्तता प्रमाण पत्र खूंटी से बना है, जिसे अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी ने जारी किया है.

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