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पलामू के कर्मी गढ़वा में

शिक्षा विभाग. 17 वर्ष से चल रहा है प्रतिनियोजन का खेल वर्ष 1998 सें डीएसइ कार्यालय व वर्ष 1999 से डीइओ कार्यालय गढ़वा में चल रहा है, तब से ही पलामू के कर्मी यहां पर पदस्थापित हैं. डीएसइ कार्यालय को काफी मलाईदार विभाग माना जाता है. इसलिए जब कभी पदस्थापना रद्द करने की बात होती […]

शिक्षा विभाग. 17 वर्ष से चल रहा है प्रतिनियोजन का खेल
वर्ष 1998 सें डीएसइ कार्यालय व वर्ष 1999 से डीइओ कार्यालय गढ़वा में चल रहा है, तब से ही पलामू के कर्मी यहां पर पदस्थापित हैं. डीएसइ कार्यालय को काफी मलाईदार विभाग माना जाता है. इसलिए जब कभी पदस्थापना रद्द करने की बात होती है, अपनी ताकत लगा कर कर्मी यहां रह जाते हैं. बीते 17 साल से यहां गिने-चुने कर्मियों की ही पदस्थापना होती रही है.
गढ़वा : गढ़वा जिला का शिक्षा विभाग पिछले 17 वर्ष से प्रतिनियुक्त कर्मचारियों के भरोसे चल रहा है. हैरत की बात यह है कि कुछ गिने चुने कर्मी ही 17 वर्ष से शिक्षा विभाग में ऐन-केन प्रकारेण अपनी प्रतिनियुक्ति कराकर जमे हुए हैं. कर्मियों के बीच शिक्षा विभाग एक मलाईदार विभाग के रूप में चिह्नित है. इस वजह से वे अपनी प्रतिनियुक्ति बचाने के लिए कई तरह के उपक्रम रचते रहे हैं. शिक्षा विभाग गढ़वा में पलामू व लातेेहार के कर्मी भी प्रतिनियुक्ति करा कर जमे हुए हैं. उन्हें 17 वर्ष में एक बार भी अपने मूल स्थान पर नहीं भेजा गया है.
क्यों है ऐसी स्थिति : गढ़वा जिले का गठन वर्ष 1991 में किया गया था. लेकिन पलामू से काट कर वर्ष 1998 में यहां जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय व वर्ष 1999 में जिला शिक्षा पदाधिकारी का कार्यालय शुरू किया गया. लेकिन यहां जिला शिक्षा अधीक्षक व जिला शिक्षा पदाधिकारी के अलावा अन्य किसी कर्मी का पद सृजित नहीं किया गया. ऐसे में इन पदों के लिए कभी बहाली ही नहीं ली गयी. यद्यपि इस मामले को कई बार राज्य सरकार तक भी उठाया गया.
लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसका फायदा उठा कर कुछ कर्मी लंबे समय से यहां जमे हुए हैं. कभी-कभार जब प्रतिनियुक्त कर्मियों को हटा कर दूसरे कर्मी को रखने की बात की जाती है, तब डीइओ कार्यालय के कर्मी डीएसइ कार्यालय व डीएसइ कार्यालय के कर्मी अपनी पदस्थापना डीइओ कार्यालय में कुछ दिनों के लिए करा लेते हैं. उसके बाद वे फिर से अपना विभाग बदल लेते हैं.
सबसे बुरी स्थिति जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय की
जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय में छह सहायक व तीन अनुसेवक तथा जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय में चार सहायक व तीन अनुसेवक प्रतिनियोजन पर हैं. सबसे खराब स्थिति जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय की है. चूंकि इस कार्यालय से मध्य विद्यालय व प्राथमिक विद्यालय के कार्यों के अलावा मध्याह्न भोजन व सर्वशिक्षा अभियान के कार्य भी संपादित किये जाते हैं.
इसलिए इसे काफी मलाईदार विभाग माना जाता है. इसलिए कार्यरत कर्मी यहां से अपने मूल स्थान पर जाना नहीं चाहते हैं. डीएसइ कार्यालय में पलामू के ही कर्मी अपना प्रनियोजन करा कर लंबे समय से जमे हैं. वहीं, कई बार उनको हटा कर दूसरे का प्रतिनियोजन करने का मामला उठा. लेकिन, अपनी पहुंच के दम पर वे अब भी यहां जमे हुए हैं.
कई बार मामला उठाया गया
जिप बोर्ड की बैठक में उपाध्यक्ष रेखा चौबे के अलावा अन्य जिप सदस्यों ने प्रतिनियोजन रद्द करने की मांग उठायी थी. इसके अलावा मुख्यमंत्री जनसंवाद व सूचना अधिकार के तहत भी कई आवेदन प्रतिनियोजन रद्द करने से संबंधित विभाग में पड़े हुए हैं. बावजूद इसके अब तक किसी पर भी कार्रवाई नहीं की गयी.
आरडीडीइ स्तर से कार्रवाई होती है : डीएसइ
इस संबंध में जिला शिक्षा अधीक्षक बृजमोहन कुमार ने बताया कि प्रतिनियोजन आरडीडीइ स्तर से होता है. वे इस संबंध में कुछ नहीं कर सकते हैं.

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