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फरवरी में ही सूखी बांकी

विशुनपुरा के गांवों में पेयजल संकट गहराया विशुनपुरा(गढ़वा) : विशुनपुरा प्रखंड की जीवन रेखा समझी जानेवाली बांकी नदी फरवरी महीने में ही सूख गयी है. नदी के सूख जाने से इसके बेसिन क्षेत्र में अवस्थित दर्जनों गांवों में पेयजल को लेकर अभी से ही हाहाकार की स्थिति बन गयी है. नदी के सूखने के साथ […]

विशुनपुरा के गांवों में पेयजल संकट गहराया
विशुनपुरा(गढ़वा) : विशुनपुरा प्रखंड की जीवन रेखा समझी जानेवाली बांकी नदी फरवरी महीने में ही सूख गयी है. नदी के सूख जाने से इसके बेसिन क्षेत्र में अवस्थित दर्जनों गांवों में पेयजल को लेकर अभी से ही हाहाकार की स्थिति बन गयी है. नदी के सूखने के साथ ही आसपास का जलस्तर नीचे चला गया है.
इसके कारण कुंआ व चापाकल में पानी भी नहीं आ रहा है. लोगों को पीने के पानी के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. प्रखंड के सारो, विशुनपुरा, पातगड़ाकला व पातगड़ाखुर्द, नहरी टोला आदि गांवों में जलस्तर काफी नीचे चला गया है. इसके कारण यहां कराये गये बोर फेल हो चुके हैं. इक्के-दुक्के चापानल में पानी आ रहा है, जहां सुबह से ही पानी लेने के लिए भीड़ जमा हो जा रही है.
मुश्किल से निकलता है एक-दो बाल्टी पानी
पातगड़ाकला और पातगड़ाखुर्द, नहरी टोला गांव निवासी महावीर साह, रामकिशुन साह, अयोध्या यादव, नरेश राउत, उपेंद्र साह, रामजी यादव, अशोक साह, गोपाल यादव आदि ने अपना दर्द सुनाते हुए कहा कि दोनों टोला मिला कर 60-65 घर हैं. यहां के चापानल से एक-दो बाल्टी पानी ही निकलता है. इसके बाद पानी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है. दोनों टोला मिला कर मात्र दो चापानल है, जिसमें एक चापानल खराब है तथा एक सही है.
जो चापानल सही है, वह कभी भी फेल हो सकता है. इन टोलों पर जिसके अपने बोर हैं, उनका बोर भी सूख गया है. उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी पेयजल व स्वच्छता विभाग तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों को दिया. लेकिन अब तक कोई पहल नहीं हुई. सत्यनारायण यादव व मोती साह ने कहा कि गांव में अब डीप बोर के माध्यम से ही पानी निकल सकता है.
यदि ऐसा नहीं किया गया, तो अगले महीने से और भारी समस्या हो जायेगी. अभी तो किसी तरह वे इक्के-दुक्के जलस्त्रोत से काम चला ले रहे हैं. लेकिन मार्च-अप्रैल में उन्हें दूर से पानी ढोना पड़ सकता है. पतागड़ाखुर्द निवासी संतोष गुप्ता ने कहा कि नहरी टोले के सभी कुंए के पानी सूख जाने से पानी की आपूर्ति ठप है. यदि पानी की व्यवस्था के लिए शीघ्र कोई उपाय नहीं हुआ, तो वे अपने मवेशी को बेचने के लिए मजबूर होंगे.

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