।। देवदत्त चौबे ।।
गढ़वा : बीआरजीएफ (पिछड़ा क्षेत्र विकास मद) की राशि अपेक्षित रूप से खर्च नहीं होने के कारण गढ़वा जिला 30 करोड़ रुपये से अधिक की राशि पाने से वंचित रह गया. केंद्र सरकार द्वारा संचालित इस योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेवारी पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के बाद जिला परिषद को प्राप्त हो चुकी है.
यद्यपि यह योजना इस जिले में वर्ष 2008-09 से ही लागू है. विदित हो कि गढ़वा को झारखंड के कुछ अन्य जिलों के साथ पिछड़ा क्षेत्र के रूप में चिह्न्ति कर यह योजना लागू की गयी थी. लेकिन सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष उपलब्ध करायी गयी राशि को ससमय खर्च नहीं करने तथा उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देने के कारण यहां उक्त मद के दूसरी किस्त की राशि भी कभी नहीं मिल पायी.
वित्तीय वर्ष 2011-12 व 2012-13 में उक्त मद से 19-19 करोड़ के बदले मात्र 3.42 करोड़ व 4.09 करोड़ रुपये ही मिले. इसलिए कि इसके पूर्व 2008-09, 2009-10 व 2010-11 में प्राप्त क्रमश: लगभग 14 करोड़, आठ करोड़ व 15 करोड़ रुपये की राशि को पूरी तरह से खर्च नहीं किया जा सका. परिणामस्वरूप आगे के वित्तीय वर्ष में देय राशि में कटौती कर दी गयी. आलम यह है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में छह माह गुजर जाने के बाद से इस मद की राशि नहीं मिल पायी है.
इस प्रकार पिछले पांच वर्ष में मिले 45.25 करोड़ रुपये में से अब तक 36.62 करोड़ रुपये खर्च करने की बात कही जाती है. इतने वर्षो में कुल 432 योजनाएं ली गयी हैं. इनमें से 182 योजनाएं अभी भी अधूरी पड़ी हुई हैं. विदित हो कि बीआरजीएफ से आधारभूत संरचना वाली योजनाएं यथा आंगनबाड़ी केंद्र भवन, पंचायत भवन, पुल–पुलिया का निर्माण कराया जा रहा है.
जिला परिषद में कथित रूप से आपसी मतभेद व प्रशासनिक उदासीनता के कारण राशि खर्च नहीं होने से यह स्थिति बनी हुई है. उल्लेखनीय है कि प्रत्येक वित्तीय वर्ष में उपलब्ध राशि का कम से कम 60 प्रतिशत राशि खर्च होने के बाद ही दूसरी किस्त की राशि का दावा किया जा सकता है.
परंतु वर्तमान स्थिति के कारण आवंटित राशि में ही कटौती हो जा रही है. पांच महीने पूर्व विभिन्न योजनाओं के लिये डाली गयी निविदाओं का निष्पादन नहीं होने के कारण लगभग तीन करोड़ रुपये का खर्च भी शिथिल पड़ा हुआ है.