– विनोद पाठक –
गढ़वा : गढ़वा जिले में पिछले दो दिन से झमाझम बारिश हो रही है. सोमवार की शाम से जो बारिश शुरू हुई, वहबुधवार को तीसरे दिन भी लगातार होती रही. इससे अनुमान है कि इस वर्ष की बरसात में पहली बार खेत एवं आहर पानी से भर जायेंगे.
लेकिन इस वर्षा से वही कहावत चरितार्थ हो रही है कि का बरखा, जब कृषि सुखाने.. किसानों ने धान रोपने के लिए कर्ज लेकर जो बिचड़ा बोया था.
वह वर्षा के अभाव में पीले होकर खेतों में ही सूख गया. कई इलाकों में निराश होने के बाद किसानों ने बिचड़े को मवेशी से चरा दिया था. वैसे भी धान रोपने का नक्षत्र समाप्त हो गया है. अब यदि जिंदा बचे हुए बिचड़े को खेत में रोपा जाता है, तो उसमें बीमारी होने की आशंका बनी रहती है.
इस इलाके में धान की रोपाई का समय आधा सावन बीतने तक समाप्त हो जाता है. लेकिन अब तो भादो महीना शुरू हो गया है. भादो में धान रोपना में जितना खर्च होगा, वह किसानों के लिए पूरी तरह से रिस्क लेना होगा.
यद्यपि जिन किसानों के बिचड़े जिंदा बचे हुए हैं, वे भले ही पीले पड़ गये हो, किंतु इसके बाद भी वे धान रोपने की तैयारी में जुट गये हैं. इधर समय पर वर्षा नहीं होने एवं धान के बिचड़े के खेतों में सूख जाने से जो चारों ओर से गढ़वा जिले को सुखाड़ क्षेत्र घोषित करने की मांग उठ रही थी. विभिन्न राजनीतिक दल जिले को सुखाड़ क्षेत्र घोषित करने की मांग को लेकर लगातार धरना– प्रदर्शन कर रहे थे.
सरकार की ओर से भी स्थिति के मद्देनजर इस पर पहल करने का आश्वासन मिला था. लेकिन पिछले दिनों की वर्षा से सरकार क्या कदम होगा, यह तो समय ही बता सकता है.