सस्ती दवा व घरेलू नुस्खे के लिए मशहूर थे मोतीचंदगढ़वा. गढ़वा के जाने-माने चिकित्सक डॉ मोतीचंद अग्रवाल नहीं रहे. 95 वर्षीय डॉ मोतीचंद ने शनिवार की रात अपने घर में ही अंतिम सांसें ली. वे पिछले 50 वर्ष से भी ज्यादा समय से चिकित्सीय सेवा दे रहे थे. डॉ मोतीचंद बीमारी का सस्ती दवा व घरेलू नुस्खों से इलाज के लिए जाने जाते थे. निधन के कुछ दिन पूर्व तक मोतीचंदजी शहर या आसपास में आवागमन के लिये अपनी साइकिल का इस्तेमाल किया करते थे. उनके इस लंबे जीवन काल में कभी भी दुपहिया मोटरवाहनों पर चलते नहीं देखा गया. मिनी साइकिल पर किसी भी मौसम में माथा, कमर व घुटना में कपड़ा बांध कर चलना उनकी मूल पहचान थी. वे कहते थे कि यदि लंबे समय तक शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखना चाहते हैं, तो शरीर के हर जोड़ को हमेशा बांध कर रखें. मोतीचंदजी अस्वस्थ होने पर अपना इलाज खुद करते थे. उनके सस्ती व घरेलू इलाज के कारण अंतिम समय तक मरीज उनके पास पहुंचते रहे. लेकिन दो माह पूर्व से उनके परिजनों ने उन्हें अवस्थ बताकर मरीजों को डॉ साहब से मिलने के लिए मना कर दिया था. परिजनों के मुताबिक डॉ मोतीचंद का मेडिकल की डिग्री लेने के बाद सरकारी स्तर पर प्रथम पदस्थापना मुंबई में हुई थी. निधन के पश्चात स्थानीय दानरो नदी के तट पर उनका दाह संस्कार किया गया. उनके बड़े पुत्र संजय अग्रवाल ने उन्हें मुखाग्नि दी. उनके परिवार में उनकी पत्नी तारावती अग्रवाल, तीन पुत्र, एक पुत्री आदि हैं.
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जानेमाने चिकित्सक डॉ मोतीचंद का निधन
सस्ती दवा व घरेलू नुस्खे के लिए मशहूर थे मोतीचंदगढ़वा. गढ़वा के जाने-माने चिकित्सक डॉ मोतीचंद अग्रवाल नहीं रहे. 95 वर्षीय डॉ मोतीचंद ने शनिवार की रात अपने घर में ही अंतिम सांसें ली. वे पिछले 50 वर्ष से भी ज्यादा समय से चिकित्सीय सेवा दे रहे थे. डॉ मोतीचंद बीमारी का सस्ती दवा व […]
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