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दीमकों की भेंट चढ़ रही हैं लाइब्रेरी की 14500 पुस्तकें

गढ़वा : वर्तमान समय में जब सोशल मीडिया व मोबाइल से लोग चिपके हुए है़ं, वैसी स्थिति में गढ़वा अनुमंडलीय पुस्तकालय बदहाली के दिन गिनते हुए पाठकों का इंतजार कर रहा है. गढ़वा अनुमंडलीय पुस्तकालय करीब 50 साल पुराना है़ यहां 14500 से ज्यादा पुस्तकें है. लेकिन पढ़नेवाले निबंधित सदस्यों की संख्या मात्र 16 है़ […]

गढ़वा : वर्तमान समय में जब सोशल मीडिया व मोबाइल से लोग चिपके हुए है़ं, वैसी स्थिति में गढ़वा अनुमंडलीय पुस्तकालय बदहाली के दिन गिनते हुए पाठकों का इंतजार कर रहा है. गढ़वा अनुमंडलीय पुस्तकालय करीब 50 साल पुराना है़ यहां 14500 से ज्यादा पुस्तकें है.

लेकिन पढ़नेवाले निबंधित सदस्यों की संख्या मात्र 16 है़ गढ़वा को जिला बने करीब 30 साल होने को है़ं, लेकिन अनुमंडलीय पुस्तकालय को जिला पुस्तकालय का दर्जा नहीं मिला. पुस्तकालय के लिए नियमित आवंटन नहीं रहने से पुस्तकों का उचित रखरखाव व देखरेख आदि की समस्या बनी हुई है.
पुस्तकालय की किताबों पर पड़ी धूल की परत और दीमक लगने लगे हैं. इससे यह मालूम होता है कि लंबे समय से इनके पन्ने को पलटनेवाला कोई नहीं मिला है़ उचित देखरेख के अभाव में कई महत्वपूर्ण पुस्तकें बर्बाद हो गयी है.
कई महत्वपूर्ण पुस्तकें इसके पूर्व के निबंधित पाठक ले गये और लौटाया नही़ं पुस्तकालय की दीवारों पर हमेशा नमी जमी रहती है और स्थायी रूप से दीपकों का भी जमावड़ा है.20 रुपये मासिक फी व सिक्यूरिटी राशि 500 रुपये है तय अनुमंडलीय पुस्तकालय में पुस्तकों को घर ले जाकर अध्ययन करने के लिये 500 रुपये सिक्यूरिटी राशि तय की गयी है.
इस राशि को देकर कोई भी सदस्य बन सकता है. इसके अलावा 20 रुपये मासिक राशि तय की गयी है. वर्तमान में इस पुस्तकालय में 16 स्थायी निबंधित पाठक है़ं, जबकि पूर्व में 127 निबंधित पाठक थे. लेकिन एंड्रोयड मोबाइल का क्रेज बढ़ने से पुस्तकें पढ़ने वाले सदस्यों की संख्या धीरे-धीरे समाप्त हो गयी है.

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