जितेंद्र सिंह,
गढ़वा : भवनाथपुर सेल आरएमडी माइंस में वर्ष 2001-02 में आठ लाख रुपये का बोकारो इस्पात सहकारिता साख समिति एवं कर्मचारियों का उम्र सीमा घोटाला काफी चर्चा में रहा. साख समिति मामले में तीन प्राथमिकी दर्ज कराये गये, जबकि उम्र सीमा घोटाला में प्रबंधन द्वारा लीपापोती कर दोषी लोगों को बचाने का काम किया.
इसके अलावा प्रबंधन के खदान बंद करने की मंशा के तहत सैकड़ों सेलकर्मियों को जबरन वीआरएस (स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति) के लिए मजबूर किया गया,जो नहीं माना उसका तबादला दुरूह क्षेत्रों में कर दिया गया. प्रबंधन की इन तीनों कार्रवाई में साख पर बट्टा का दंश झेलना पड़ा.
क्या है साख समिति
वर्ष 1986 में भवनाथपुर में बोकारो इस्पात सहकारिता साख समिति खोली गयी. बिहार ओड़िशा को-ऑपरेटिव सोसाइटी एक्ट के तहत इसका उद्देश्य सेलकर्मियों को लाभ पहुंचाना था. इसके तहत सदस्यों के वेतन का एक अंश समिति के खाते में जमा किया जाता था,यही रकम सदस्यों को उनके जरूरत के अनुसार ऋण के रूप में कम ब्याज पर उपलब्ध कराया जाता था.
आठ लाख का घोटाला
समिति में घोटाले का पहला मामला सेलकर्मी अक्षयवट उरांव के खाते से जाली हस्ताक्षर का 30000 रुपये की निकासी के बाद सामने आया. जब हंगामा हुआ, तो आठ लाख के घोटाले की बात सामने आयी. तब समिति के तत्कालीन अध्यक्ष पीडी कुरूप ने 22 जनवरी 2002 को स्थानीय थाने में पहला प्राथमिकी दर्ज करायी. मामले को बढ़ता देख समिति के तत्कालीन सचिव एके राय ने 11 अक्तूबर 2002 को 6.5 लाख के अंकेक्षण रिपोर्ट के साथ दूसरा प्राथमिकी दर्ज करायी.
साथ ही इस घोटाले में शामिल तीन लोगों पर विभागीय नोटिस जारी किया गया. तब भी मामला शांत नहीं हुआ और आरोपी फरार रहे तब नये सचिव धीरेंद्र कुमार चौबे ने चार्टर ऑडिटर के रिपोर्ट के साथ 18 जनवरी 2003 को तीसरा प्राथमिकी दर्ज करायी गयी.
उम्र सीमा घोटाला भी रहा चर्चा में
सेलकर्मियों को समयावधि से पूर्व सेवानिवृत्ति के उद्देश्य से आरएमडी सेल प्रबंधन के कार्मिक विभाग द्वारा उम्र सीमा घोटाला का पहला मामला सेलकर्मी सुग्रीव बीयार महतो का प्रकाश में आया. इसके तहत कर्मिक विभाग के पदाधिकारियों द्वारा 30 कर्मचारियों के उम्र में हेरा फेरी कर उन्हें समय से पूर्व सेवानिवृत्ति के लिए बाध्य किया गया. इससे सेल को वेतन मद से छह करोड़ का लाभ हुआ.
तत्कालीन उप-महाप्रबंधक लालचंद तिवारी ने भी इसकी पुष्टि करते हुए जांच की बात कही. श्री तिवारी ने कहा था कि इसमें शामिल कार्मिक विभाग के एक कर्मचारी का तबादला कर दिया गया है. साथ ही यह भी कहा कि यह काम इतने सफाई से की गयी है कि दोषी को पकड़ना मुश्किल हो
रहा है.
वीआरएस के लिए मजबूर किया गया
वर्ष 2000 तक सेल प्रबंधन ने कर्मचारियों की सीधे छंटनी नहीं कर के वीआरएस (स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति) का हथकंडा अपनाया गया. इस कार्य के अनुसार प्रबंधन ने 150-200 कामगारों को वीआरएस दिलाया. जो कर्मचारी आना कानी करने लगे उनका तबादला काफी दूर कर दिया गया, तब कई कर्मी वीआरएस लेने को मजबूर हुए.
(जारी)