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बच्चों की आंखों से दुनिया देखना चाहते हैं नेत्रहीन दंपती
शादी के 13 साल से सुखी जीवन गुजार कर मिसाल बने हैं संतोष कुमार एनटीपीसी में नौकरी कर रहे हैं, वहीं पत्नी अश्रोम पीएनबी के लिए चयनित हुई हैं गढ़वा : शरीर से भले-चंगे दंपतियों का दांपत्य जीवन जहां सफल नहीं हो पाता है, वहीं नेत्रहीन दंपती एक मिसाल कायम किया है. जिले के बड़गड़ […]
शादी के 13 साल से सुखी जीवन गुजार कर मिसाल बने हैं
संतोष कुमार एनटीपीसी में नौकरी कर रहे हैं, वहीं पत्नी अश्रोम पीएनबी के लिए चयनित हुई हैं
गढ़वा : शरीर से भले-चंगे दंपतियों का दांपत्य जीवन जहां सफल नहीं हो पाता है, वहीं नेत्रहीन दंपती एक मिसाल कायम किया है. जिले के बड़गड़ निवासी अश्रोम कुजूर व उसके पति संतोष कुमार जन्म से ही नेत्रहीन है़ लेकिन वे पिछले 13 साल से सुखी दांपत्य जीवन गुजार रहे है़ संतोष कुमार ने जहां एमबीए एचआर शिक्षा ग्रहण कर एनटीपीसी में नौकरी कर रहे हैं, वहीं उनकी पत्नी अश्रोम ने बीएड की पढ़ाई की है और वे हाल ही में पीएनबी के लिए चयनित हुई है़
उन्होंने बताया कि वे दोनों दिल्ली के उत्तमनगर में स्थित एक नेत्रहीन विद्यालय में पढ़ते थे, लेकिन उन्होंने कभी एक-दूसरे को देखा नहीं था़ उनके अभिभावकों ने उनकी शादी तय कर करायी है़ उन्होंने कहा कि उन्हें स्वयं के नेत्रहीन होने का कोई मलाल नहीं है़ वे दोनों बिना देखे एक-दूसरे के प्रति समर्पित है़ वे हर फैसला मिल कर लेते है़ं उनकी 11 साल की एक लड़की तथा नौ साल का एक लड़का है़
दोनों शरीर से भले-चंगे है़ं
उन्होंने बताया कि वे दोनों उनकी परवरिश में कोई कमी नहीं करते़ वे कभी अपने बेटे-बेटी को नहीं देख सकेंगे, लेकिन वे उन्हें पढ़ा-लिखाकर योग्य बनाना चाहते हैं, ताकि उनकी आखों से वे दुनिया देख सके़ संतोष व अश्रोम एक प्रमाणपत्र बनवाने के सिलसिले में समाहरणालय पहुंचे थे़ उन्होंने बताया कि वे अपने दिनचर्या के लिए किसी पर निर्भर नहीं है़
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