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काड़ाडुबा : शहीदों की याद में जलेंगे मिट्टी के दीये

प्रभात खबर के अभियान से शहीदों के सम्मान में लिया निर्णय घाटशिला : घाटशिला प्रखंड की काड़ाडुबा में कुंभकारों की आबादी 230 परिवार है. यहां आज भी कुंभकारों ने पारंपरिक पेशे को जीवित रखा है. वे मिट्टी से बर्तन बनाते हैं और बाजार में बेचते हैं. प्रमथो पाल और उनके भाई राजीव पाल ने बताया […]

प्रभात खबर के अभियान से शहीदों के सम्मान में लिया निर्णय

घाटशिला : घाटशिला प्रखंड की काड़ाडुबा में कुंभकारों की आबादी 230 परिवार है. यहां आज भी कुंभकारों ने पारंपरिक पेशे को जीवित रखा है. वे मिट्टी से बर्तन बनाते हैं और बाजार में बेचते हैं. प्रमथो पाल और उनके भाई राजीव पाल ने बताया कि प्रभात खबर के अभियान दीया देश के नाम पढ़ कर निर्णय लिया कि शहीदों के नाम पर नि:शुल्क दीया जगदीश भकत को देंगे.
उन्होंने आश्वासन दिया है कि शहीद दिलीप बेसरा की प्रतिमा के समक्ष इस वर्ष मिट्टी से बने दीयों को जलाया जायेगा. उन्होंने कहा कि भले ही वे गरीब हैं, लेकिन भारत देश मेरा है. शहीदों का सम्मान करने का जुनून है. जगदीश भकत ने कहा कि शहीद दिलीप बेसरा समेत अन्य शहीदों के नाम पर इस वर्ष मिट्टी के दीये जलाये जायेंगे. काड़ाडुबा के उप मुखिया सुंधाशु भकत, हेमंत पाल,
राजू पाल, कृष्ण चंद्र पाल, बलराम पाल, अमलेंदू पाल ने कहा कि इस गांव में लगभग 230 परिवार कुंभकारों के हैं. उनकी आबादी लगभग 2 हजार होगी. उन्होंने बताया कि 1985 के पूर्व इस गांव के सभी कुंभकार समुदाय के लोग मिट्टी से बर्तन बनाया करते थे. धीरे-धीरे विदेशी प्रचलन की शुरुआत हुई और इस पेशे को छोड़ते गये.
सुंधाशु ने कहा कि 230 परिवार में से मात्र 30 परिवार आज भी दीपावली में दीया के अलावे पूजा की सामग्री धूपदान, हंडी, बर्तन और भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की मूर्ति बनाते हैं. उन्होंने कहा कि इस वर्ष विचार किया है कि विदेशी सामान का प्रयोग दीपावली में नहीं करेंगे. मिट्टी से बनी दीया ही शहीदों के नाम पर जलायेंगे.
दो कुम्हार भाइयों ने फ्री में मिट्टी के दीये देने की बात कही
कुंभकार समाज के लोग.
चाइनीज लाइट का बहिष्कार करें : मिश्रा

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