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28 से आरंभ होगा पांच दिवसीय त्योहार

घाटशिला : दीपावली एक पर्व नहीं बल्कि पांच दिवसीय पंच महापर्वों का समाहार है, जिसकी शुरुआत कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धन त्रयोदशी (धनतेरस) के साथ होती है और इसका समापन कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भाई दूज, यम द्वितीया एवं चित्रगुप्त पूजा के साथ होता है. इस वर्ष इस पंच दिनात्मक महापर्व की शुरुआत आगामी […]

घाटशिला : दीपावली एक पर्व नहीं बल्कि पांच दिवसीय पंच महापर्वों का समाहार है, जिसकी शुरुआत कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धन त्रयोदशी (धनतेरस) के साथ होती है और इसका समापन कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भाई दूज, यम द्वितीया एवं चित्रगुप्त पूजा के साथ होता है. इस वर्ष इस पंच दिनात्मक महापर्व की शुरुआत आगामी 28 अक्तूबर (शुक्रवार) को होगी, जिस दिन धन त्रयोदशी (अथवा धनतेरस) मनाया जायेगा. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान इसी दिन आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे. इस कारण इस दिवस को भगवान धन्वंतरि की जयंती के रूप में मनाया जाता है.

इसके साथ ही इस दिन लक्ष्मी, कुबेर का पूजन करने एवं धातु निर्मित बरतन आदि खरीदने का भी विधान है. मान्यता के अनुसार इस दिन शुभ मुहूर्त में इनकी खरीददारी करने पर घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है. पंच दिनात्मक महापर्व का दूसरा पर्व कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी, हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष यह आगामी 29 अक्तूबर (शनिवार) को मनाया जायेगा. इसी दिन आधी रात्रि निशीथ काल में अमावस्या व्यतीत होने के कारण इसी दिन काली पूजा भी संपन्न होगी.

शनिवार और अमावस्या के संयोग के कारण मां काली की पूजा के लिए यह विशेष शुभ संयोग बन रहा है. इसके अलावा इस दिन अकाल मृत्यु से बचने के लिए यमराज को दीपदान किया जाता है.

महापर्व का तीसरा पर्व (तीसरा दिन) कार्तिक कृष्ण अमावस्या तिथि को दीपावली को मनायी जाती है. यह पर्व इस वर्ष आगामी 30 अक्तूबर (रविवार) को है. इसी दिन श्री गणेश-लक्ष्मी-कुबेर की पूजा करने एवं दीपमालिका सजाने का विधान है. महापर्व का चौथा दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष यह पर्व आगामी 31 अक्तूबर (सोमवार) को है. इसी दिन गौ एवं गोवत्स को सजाकर उनकी पूजा की जाती है एवं श्रीहरि को छप्पन भोग भी अर्पित किया जाता है.
भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठा कर गोप-ग्वालों की इंद्र के प्रकोप से रक्षा की थी.महापर्व का पांचवां एवं अंतिम पर्व कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भ्रातृ द्वितीया (भैया दूज), यम द्वितीया, चित्रगुप्त पूजा, दावात पूजा आदि के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष यह पर्व आगामी 1 नवंबर (मंगलवार) को है. भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी आयु के लिए पूजा-अर्चना करती हैं साथ ही भाई बहन के घर जाकर भोजन ग्रहण करते हैं. चित्रांश समाज के लोग इस दिन सपरिवार भगवान चित्रगुप्त की पूजा करते हैं. इसके साथ ही विद्यार्थी वर्ग द्वारा भी इस दिन दावात पूजा किये जाने की परंपरा रही है.

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