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बिजली विभाग की लापरवाही से दर-दर भटक रहा एक परिवार

दुर्घटना में दोनों हाथ खो चुका सोमा का परिवार किसी तरह चल रहा है बिजली विभाग ने मुआवजा के नाम पर छह हजार देकर पल्ला झाड़ा बड़बिल : बिजली विभाग (नेस्को) की लापरवाही ने एक परिवार से जीने का सहारा छीन लिया. आरोप है कि विभाग ने युवक को 11 केवी के बिजली के खंभे […]

दुर्घटना में दोनों हाथ खो चुका सोमा का परिवार किसी तरह चल रहा है

बिजली विभाग ने मुआवजा के नाम पर छह हजार देकर पल्ला झाड़ा
बड़बिल : बिजली विभाग (नेस्को) की लापरवाही ने एक परिवार से जीने का सहारा छीन लिया. आरोप है कि विभाग ने युवक को 11 केवी के बिजली के खंभे पर चढ़ा कर लाइन चालू कर दिया गया. घटना में युवक की जान बच गयी, लेकिन उसने दोनों हाथ खो दिये. घटना पांच वर्ष पहले की है. इसका दंश उसका पूरा परिवार झेल रहा है. असिनकेला ग्राम पंचायत क्षेत्र के रोलाबुरु ग्राम निवासी सोमा मुंडा के दो छोटे-छोटे बच्चे, बूढ़ी मां और पत्नी का परिवार विकलांग भत्ता के मात्र 300 रुपये से चल रहा है.
ऐसे हुई थी घटना. इलेक्ट्रिकल की जानकारी नहीं होने के बावजूद सोमा मुंडा को बिलाइपदा स्थित नेस्को के लाइनमैन ने तीन हजार रुपये वेतन पर अस्थायी रूप से काम पर रखा. उससे खंभे पर चढ़ कर तार मरम्मत और फ्यूज आदि बांधने का काम दिया जाता था. जून 2011 को उसे 11 केवी के खंभे पर चढ़ा कर फ्यूज बांधने का काम दिया गया. सोमा ने दो फ्यूज बांधा था. तीसरा फ्यूज बांधने के दौरान जोड़ा ग्रिड से लापरवाह कर्मचारियों ने लाइन चालू कर दी. 11 केवी के जोरदार झटके से सोमा खंभे से गिर पड़ा.
इलाज के अभाव में काटने पड़े हाथ
घटना के बाद उसकी बूढ़ी मां और पत्नी उसके साथियों की मदद से उसे चंपुआ सब डिवीजन अस्पताल पहुंचाया. यहां डॉक्टरों ने नजरअंदाज कर दिया. दूसरे दिन नोवामुंडी स्थित टाटा स्टील के अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने झुलसे हुए हाथों पर बस मरहम लगा कर घर भेज दिया. सोमा के परिवार को किसी ने चाईबासा सदर अस्पताल ले जाने की राय दी. चाईबासा सदर अस्पताल पहुंच कर भी सोमा का इलाज नहीं हो सका.
उसे ये कह कर लौटा दिया गया कि उसकी हालत काफी गंभीर है. उसे किसी बड़े अस्पताल ले जाया जाये. इसी बीच बिजली विभाग नेस्को के बिलाइपदा स्थित लाइन मैन चंदन ने उसे इलाज के लिए छह हजार देकर अपना पल्ला झाड़ लिया. बूढ़ी मां और दो बच्चों के साथ उसकी पत्नी सोमा को लेकर घर लौट गयी. पांच दिन बीत चुके थे. अब सोमा की हालत और बिगड़ती जा रही थी. इस पर ग्रामीणों ने पंचायत प्रतिनिधियों से उसके इलाज के लिए मदद की गुहार लगायी.
नोवामुंडी टाटा स्टील ग्रामीण विकास संस्थान (टीएसआरडीएस) से इलाज के लिए बात की गयी. घटना के दस दिनों के बाद उसे टीएसआरडीएस ने जमशेदपुर स्थित टाटा मेन हॉस्पिटल (टीएमएच) में भर्ती कराया. इलाज के दौरान उसके दोनों हाथों का काटने पड़े.

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