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सबर बहुल गांवों में गंभीर पेयजल संकट

पहाड़ी नदी के किनारे खाल बनाकर ले रहे पानी गालूडीह : घाटशिला प्रखंड से विलुप्त आदिम जनजाति सबर के गांवों में पेयजल संकट गहरा गया है. चापाकल से कम पानी निकल रहा है, तो कुएं सूख गये हैं. बड़ाकुर्शी पंचायत के घुटिया सबर बस्ती के सबर सातगुड़म नदी के पास खाल बनाकर पीने का पानी […]

पहाड़ी नदी के किनारे खाल बनाकर ले रहे पानी

गालूडीह : घाटशिला प्रखंड से विलुप्त आदिम जनजाति सबर के गांवों में पेयजल संकट गहरा गया है. चापाकल से कम पानी निकल रहा है, तो कुएं सूख गये हैं. बड़ाकुर्शी पंचायत के घुटिया सबर बस्ती के सबर सातगुड़म नदी के पास खाल बनाकर पीने का पानी लेते हैं. सबर इसी नदी में नहाते भी हैं. इस बस्ती के चापाकल से गंदा पानी निकलता है. वहीं बाघुड़िया पंचायत के केशरपुर सबर बस्ती का कुआं सूख गया है. हालांकि इस बस्ती के आस पास तीन चापाकल है. इसमें से दो चापाकल का पानी पीने लायक नहीं है. सिर्फ एक चापाकल से सबर परिवार पानी लेता हैं.
नहाने के लिए तालाब जाते हैं. घाटशिला प्रखंड के दारीसाई, घुटिया, हलुदबनी, केशरपुर. एमजीएम के सुकलाड़ा सबर बस्ती में पेयजल संकट गहरा गया है. सबर परिवार पानी के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं. बाघुड़िया पंचायत के नरसिंहपुर के सबर तो सातगुड़म नदी में नहाते हैं. वहां का पानी पीने के प्रयोग में लाते हैं.
14 वें वित्त आयोग का पैसा पंचायत के एकाउंट में पड़ा है. गाइड लाइन नहीं मिलने से खर्च नहीं कर पा रहे हैं.अगर गाइड लाइन मिलता तो इस गर्मी में पंचायत स्तर पर पेयजल सुविधा पर काम होता.चापानल दुरूस्त किए जाते.
– सुभाष सिंह, मुखिया, महुलिया पंचायत
दोनों चापाकल खराब, विद्यार्थी परेशान

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