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आग से जली, इलाज तक नहीं हुआ
मुसाबनी : मुसाबनी के पारूलिया गांव के खुकड़ापाड़ा टोला में आग से बुरी तरह झुलसी बसंती सबर ( 50) मरण शय्या पर पड़ी है. गरीबी के कारण उसका इलाज नहीं हो रहा है. उसे बचाने के क्रम में उसके पुत्र गोमा सबर के दोनों हाथ झुलस गये. मां और पुत्र के इलाज में पंचायत के […]
मुसाबनी : मुसाबनी के पारूलिया गांव के खुकड़ापाड़ा टोला में आग से बुरी तरह झुलसी बसंती सबर ( 50) मरण शय्या पर पड़ी है. गरीबी के कारण उसका इलाज नहीं हो रहा है. उसे बचाने के क्रम में उसके पुत्र गोमा सबर के दोनों हाथ झुलस गये. मां और पुत्र के इलाज में पंचायत के जन प्रतिनिधि स्वास्थ्य विभाग ने कोई पहल नहीं की है. घटना एक अक्तूबर की शाम की है.
समाचार लिखे जाने तक बेघर बसंती सबर दिलीप गिरी के घर के बरामदे में केला को पत्तों पर पड़ी है. उसका इलाज नहीं हुआ, तो वह दम तोड़ देगी. खबरों के मुताबिक बसंती सबर खाना बना रही थी, तभी उसकी साड़ी में ढिबरी से आग लग गयी. बचाओ-बचाओ चिल्लाते हुए वह बरामदे से बाहर निकली, तभी उसका पुत्र गोमा सबर आ पहुंचा. उसने अपनी मां के शरीर पर जलती साड़ी को फाड़ दिया. वह 80 प्रतिशत जल गयी है.
इसी क्रम में उसके दोनों हाथ झुलस गये. बसंती सबर का किसी प्रकार का इलाज नहीं हुआ है. बंसती के पुत्र गोमा सबर ने कहा कि पैसे नहीं होने के कारण वह अपनी मां को अस्पताल नहीं ले सका है. वह मजदूरी करता है. बसंती के चार पुत्र काम करने के लिए पलायन कर गये हैं. पति बोड़ो सबर जंगल से लकड़ी लाकर बेचता है.
कोई सरकारी सुविधा नहीं. बसंती सबर का परिवार सरकारी सुविधाओं से मरहूम है. लाल कार्ड तक नहीं है. पिछले 10 वर्षों से दिलीप गिरी के घर के बरामदे में पूरा परिवार रहता है. इस परिवार को इंदिरा आवास नहीं मिला है.
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