गालूडीह : पूंजीवादी व्यवस्था में कृषि पहले से ही हाशिये पर है. किसान अपनी जीवटता के दम पर खरीफ में धान की उपज करते हैं. इस पर भी औद्योगिक घरानों की मार पड़ती है. कहीं एचसीएल–आइसीसी कंपनी द्वारा समय–समय पर छोड़े जा रहे जहरीले गैस, तो कहीं स्लैग के एसिड युक्त पानी खेत में जाने से धान की फसल का भारी नुकसान हो रहा है.
किसान कहां अपनी फरियाद लेकर जायेंगे. कौन उसका सुनेगा. कंपनी के जहरीले गैस से जगन्नाथपुर से लेकर गालूडीह तक दर्जन भर गांव के किसान प्रभावित हो रहे हैं. एक बड़े भू–भाग में लगे धान के पौधों का रंग ही बदल गया है. पौधे मुरझा रहे हैं. किसानों का कहना है कि प्रति वर्ष बरसात के मौसम में कंपनी द्वारा छोड़े जाने वाले जहरीले गैस से फसल को क्षति होती है. एक नहीं कई बार किसानों ने प्रतिवाद किया है, परंतु सुनने वाला कोई नहीं. औद्योगिक घरानों के खिलाफ प्रशासन और नेता सभी चुप्पी साध लेते हैं.
किसान आखिर कहां जायेंगे. दुसरी ओर उलदा में बरसात शुरू होते ही स्लैग मिले एसिड युक्त पानी खेतों में जाने से 50 से अधिक किसान प्रभावित हुए हैं. यहां के किसानों आंदोलन भी किया. तब कंपनी के पदाधिकारियों ने जांच कर मुआवजा का आश्वासन दे किसानों को चुप करा दिया.
क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक
कृषि विज्ञान केंद्र की कार्यक्रम समन्वयक डॉ आरती वीणा एक्का ने बताया धान की फसल के लिए जहरीले गैस और स्लैग मिले एसिड युक्त पानी खतरनाक है. इससे फसल को नुकसान होगा ही. बचाव न हुआ तो उत्पादन नहीं के बराबर होगा.
क्या कहते हैं किसान
सिकराबासा के किसान दुलाल चंद्र हांसदा, पाटमहुलिया के किसान वासुदेव मंडल और उलदा का किसान फनी भूषण सिंह ने बताया कि कंपनी के जहरीले गैस और स्लैग मिले एसिड युक्त पानी खेत में जाने से फसल का भारी नुकसान हो रहा है.