दुर्घटना के बाद फरार है नेतृत्व करने वाले लोग
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12 दिनी यात्रा के लिए पर मेंबर लिया था 3100 सौ, साथ में खाना भी
दुर्घटना के बाद फरार है नेतृत्व करने वाले लोग रक्सौल/बहरागोड़ा : भवानीपुर से बैद्यनाथ धाम के लिए रवाना हुई बस में 32 की जगह 65 लोग सवार थे. 32 लोग बस के अंदर बैठे तो 33 लोग छत के पर बैठ यात्रा के लिए रवाना हुए थे. ग्रामीणों ने बताया कि नेपाल के टाइगर नामक […]
रक्सौल/बहरागोड़ा : भवानीपुर से बैद्यनाथ धाम के लिए रवाना हुई बस में 32 की जगह 65 लोग सवार थे. 32 लोग बस के अंदर बैठे तो 33 लोग छत के पर बैठ यात्रा के लिए रवाना हुए थे. ग्रामीणों ने बताया कि नेपाल के टाइगर नामक बस थी, जो खटारा थी. बताया जाता है कि क्षेत्र से धार्मिक यात्रा पर प्रति वर्ष सैकड़ों बसें जाती है. इस धर्म यात्रा में लोगों को लुभाने के लिए सस्ता किराया, खाना-पीना भी दिया जाता है. हद तो यह कि इस कारोबार में जम कर प्रतिद्वंदिता है. यही कारण है कि 12 दिन कि इस यात्रा का किराया मात्र 3100 रुपये है. पर से खाने-पीने की व्यवस्था भी.
इस नेपाली बस का नेतृत्व राजेश प्रसाद नामक नियोजित शिक्षक कर रहे थे. ग्रामीणों का यह भी कहना था कि ये प्रति वर्ष सावन महीना में बस ले जाते हैं. ग्रामीणों के अनुसार इनके साथ कटगेनवा के विजय पटेल, मेघू पटेल के अलावे मनोज पटेल भी शामिल है. ग्रामीणों का आरोप है कि घटना घटने के बाद लोगों को अस्पताल पहुंचाने व इलाज में मदद करने के
बजाय मौके से फरार हो गये हैं. फिलहाल भवानीपुर के लोगों के आंखों में आंसू है और सभी लोग यात्रा में शामिल लोगों के गांव पहुंचने का इंतजार कर रहे हैं.
फोन आया मैं जिंदा हूं परसों घर आऊंगा
भवानीपुर गांव के लोगों को जैसे ही सूचना मिली लोग परेशान हो गये. गांव से 30 लोग यात्रा पर गये थे. सभी के परिजन जानने को बेताब थे कि आखिर उनके घर के लोग सही सलामत हैं कि नहीं. गांव में किसी के घर चूल्हा नहीं जला है. सारा गांव विपत्ति के इस घड़ी में एक साथ खड़ा था. सनोज कुमार नामक युवक ने बताया कि उसके पिता रामाकांत प्रसाद 16 अगस्त को नेपाली टाइगर बस से देवघर गये थे. रात में खबर आयी कि बस दुर्घटना हो गया है और कई लोग मर गये है. घर में गुरुवार को खाना नहीं बना है चूल्हा नहीं जला है और सारे लोग परेशान है. लगभग एक बजे मेरे पापा का फोन आया कि मैं जिंदा हूं मुझे थोड़ी चोट लगी है. मैं परसों घर वापस आऊंगा. जिसके बाद घर के लोगों को जान में जान आयी. मुन्ना पासवान नामक युवक ने बताया कि घटना के बाद से ही घर के लोगों का रो-रो कर बुरा हाल था. उसने बताया कि मेरे पापा शेषनाथ पासवान व बड़े पापा जवाहिर पासवान यात्रा पर गये थे. खबर मिली कि दुर्घटना में कई लोग मारे गये है. सारा गांव परेशान था लेकिन दिन के एक बजे के बाद उसके पिता शेषनाथ पासवान ने किसी दूसरे के नंबर से फोन किया और कहा हम लोगों को थोड़ी चोट आयी हम लोग ठीक है. अस्पताल में इलाज चल रहा है. परसों घर आयेंगे. ये लोग भाग्यशाली थे जिनके परिजन सही सलामत है तो कई लोग इस लिए परेशान थे उनके परिजन गंभीर रूप से घायल है और उनसे कोई बातचीत नहीं रहीं है.
ग्रामीणों ने कहा, चार लोग मिल कर ले गये थे बस, शिक्षक राजेश प्रसाद कर रहे हैं नेतृत्व
पथराई आंख से तीर्थयात्रियों की बाट जोह रहे भवानीपुर के लोग
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