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905 करोड़ बजट, पीजी विभागों में चॉक-डस्टर तक नहीं
चाईबासा : कोल्हान विश्वविद्यालय का वित्तीय वर्ष 2017-18 का कुल 905 करोड़ से अधिक का बजट था. लेकिन विश्वविद्यालय के पीजी विभाग में चॉक-डस्टर तक के लाले हैं. इसके लिए विभिन्न विभागों को पैसे नहीं दिये जाते. पीजी विभाग को मात्र तीन हजार का कंटीजेंसी फंड दिया जाता है. इसी में शौचालय की सफाई तक […]
चाईबासा : कोल्हान विश्वविद्यालय का वित्तीय वर्ष 2017-18 का कुल 905 करोड़ से अधिक का बजट था. लेकिन विश्वविद्यालय के पीजी विभाग में चॉक-डस्टर तक के लाले हैं. इसके लिए विभिन्न विभागों को पैसे नहीं दिये जाते. पीजी विभाग को मात्र तीन हजार का कंटीजेंसी फंड दिया जाता है. इसी में शौचालय की सफाई तक करानी पड़ती है.
हालत यह है कि कुछ विभागों के शिक्षकों ने जहां अपने स्तर से चॉक-डस्टर की व्यवस्था की, तो कई विभाग बिना चॉक डस्टर के ही चल रहे हैं. सिर्फ चॉक डस्टर ही नहीं, पेयजल, यूरिनल व टॉयलेट की स्थिति भी प्रशासनिक भवन से लेकर सभी विभागों में एक जैसी है.
विश्वविद्यालय का इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधरने की बजाय दिनों दिन बिगड़ता जा रहा है. व्यवस्था सुधारने के लिए यूजीसी से पैसे तो मिलते हैं, लेकिन कोई काम होता नहीं है. पीजी विभागों को स्टेशनरी के लिए न्यूनतम पैसे ही मिलते हैं, जिसके चलते कई जरूरी काम भी प्रभावित होते हैं. यहां तक कि टॉयलेट की सफाई के लिए फिनाइल खरीदने के पैसे भी नहीं हैं.
अलग से कोई सफाईकर्मी भी नहीं है. विभागों के एचओडी ने अपने स्तर से सफाई कर्मी रखे हैं, लेकिन वह सप्ताह में एक बार ही टॉयलेट की सफाई करता है. पानी की व्यवस्था नहीं होने से भी दिक्कत होती है.
गर्ल्स टॉयलेट की नहीं हो सकी व्यवस्था
तमाम कोशिशों के बावजूद विवि प्रशासन पीजी विभाग में गर्ल्स के लिये अलग से टॉयलेट की व्यवस्था नहीं करा पाया है. छात्र प्रतिनिधियों की शिकायत के बाद राजभवन से गर्ल्स टॉयलेट की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया था, हालांकि तत्कालीन कुलपति डॉ राम प्रवेश प्रसाद सिंह ने पीजी विभाग में अलग से गर्ल्स टॉयलेट बनाने का प्राक्कलन भी तैयार करवाया था, लेकिन फाइल जस का तस पड़ी हुई है. पीजी विभाग में गर्ल्स टॉयलेट नहीं होने से छात्राओं को काफी परेशानी होता है.
aकोल्हान विवि में एक ही साल चली कैंटीन, दो साल से है बंद
कोल्हान विवि का कैंटीन पिछले दो साल से बंद पड़ा है. नैक मूल्यांकन के समय प्रशासनिक भवन के पास ही दिखाने के लिए आनन-फानन में कैंटीन तैयार किया गया था, लेकिन कुछ ही समय बाद उसमें ताला लटक गया. बाद में अधिकारियों ने एक बार फिर कैंटीन शुरू कराने की कोशिश तो की थी, लेकिन टेंडर सही तरीके से नहीं होने के कारण वह दोबारा शुरू नहीं हो पायी.
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