प्रखंड में 16 हजार किसान, साढे दस हेक्टेयर पर धान की खेती
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घाटशिला : धान की बंपर खेती, लेकिन बेचने नहीं पहुंच रहे किसान
प्रखंड में 16 हजार किसान, साढे दस हेक्टेयर पर धान की खेती चिंता बढ़ी, लैंपस कार्यकारिणी की बैठक में होगी चर्चा घाटशिला : घाटशिला प्रखंड में करीब 16 हजार किसान हैं. वर्ष 2017 के कृषि विभाग के आंकड़े के मुताबिक करीब साढ़े दस हजार हेक्टेयर पर धान की खेती हुई. इसके बावजूद प्रखंड में खुले […]
चिंता बढ़ी, लैंपस कार्यकारिणी की बैठक में होगी चर्चा
घाटशिला : घाटशिला प्रखंड में करीब 16 हजार किसान हैं. वर्ष 2017 के कृषि विभाग के आंकड़े के मुताबिक करीब साढ़े दस हजार हेक्टेयर पर धान की खेती हुई. इसके बावजूद प्रखंड में खुले चार एनसीएमएल के केंद्रों पर किसान धान लेकर नहीं पहुंच रहे हैं. लैंपस अध्यक्ष कुना राम मुर्मू ने बताया कि धान एनसीएमएल सेंटर पर क्यों नहीं ला रहे हैं. यह चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि तीन जनवरी को लैंपस कार्यकारिणी की बैठक बुलायी गयी है. कार्यकारिणी की बैठक में एमसीएमएल के केंद्रों तक धान कैसे लाये जायें. इस पर चर्चा होगी. उन्होंने कहा कि इस साल में ही ऐसी स्थिति बनी है.
लैंपस के बीसीओ प्रकाश कुमार ने कहा कि वर्ष 2018 नववर्ष में निश्चित रूप से एनसीएमएल के केंद्रों तक किसान धान लायेंगे. उन्होंने कहा कि घाटशिला, गंधनिया, बनकाटी राइस मिल के पास और गंधनिया लैंपस में एनसीएमएल के चार केंद्र हैं. जिले के सभी एनसीएमएल कर्मचारी को धान क्रय के लिए मैसेज आया है. लेकिन क्रय केंद्र तक किसान क्यों नहीं धान ला रहे हैं. यह कैसे बता सकते हैं.
दामपाड़ा में एक भी किसान ने नहीं बेचा धान : दामपाड़ा में लगभग 90 प्रतिशत किसान कृषि पर निर्भर हैं. इसके बावजूद गंधनिया लैंपस में अबतक एक भी किसान ने धान नहीं बेचा है. गंधनिया लैंपस परिसर में एनसीएमएल के कर्मचारी आनंद कुमार बताया कि जिला से 48 किसानों से धान क्रय का मैसेज आया था. किसानों से मोबाइल पर संपर्क करने पर किसान कहते हैं कि धान झाड़ने में लगे हैं. धान झड़ाई के बाद एनसीएमएल को धान देंगे.
2012-13 में 1.20 करोड़ के धान की हुई थी खरीदारी
वर्ष 2012-13 में लगभग एक करोड़ 20 लाख रुपये की धान की खरीदारी लैंपस में की गयी थी. 2013-14 में लगभग एक करोड़ 29 लाख रुपये की धान की खरीदारी केंद्र में हुई थी. इस समय किसान धान क्रय के लिए निबंधन कराते हैं. किसानों से धान खरीद कर चेक दिया जाता था. हो सकता है. इसलिए किसानों को सहुलियत मिलती होगी.
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