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गालूडीह कस्तूरबा की जूनियर वैज्ञानिकों की दिखी प्रतिभा, बनाया रोबोट

17 छात्राएं मेरिट सूची में गालूडीह : घाटशिला प्रखंड के गालूडीह बराज स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की छात्राएं जूनियर वैज्ञानिक बन गयी हैं. छात्राओं ने रोबोट बनाया है. इन छात्राओं को इस लायक टेक्नोब्राइट कंपनी के सीइओ धालभूमगढ़ निवासी आयुष अग्रवाल ने बनाया है. उन्होंने महज एक माह का प्रशिक्षण देकर छात्राओं को […]

17 छात्राएं मेरिट सूची में

गालूडीह : घाटशिला प्रखंड के गालूडीह बराज स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की छात्राएं जूनियर वैज्ञानिक बन गयी हैं. छात्राओं ने रोबोट बनाया है. इन छात्राओं को इस लायक टेक्नोब्राइट कंपनी के सीइओ धालभूमगढ़ निवासी आयुष अग्रवाल ने बनाया है.
उन्होंने महज एक माह का प्रशिक्षण देकर छात्राओं को इस लायक बना दिया कि उन्हाेंने रॉबट का निर्माण कर दिया. कस्तूरबा की 271 छात्राओं को एक नवंबर से एक दिसंबर तक प्रशिक्षण देकर आयुष अग्रवाल ने दौड़ने, फुटबॉल खेलने,
पानी में तैरने, जमीन पर चलने और आकाश में उड़ने वाला रोबोट बनाना सिखाया है. शुक्रवार को छात्राओं का टेस्ट लिया गया और सफल छात्राओं के बीच प्रमाण पत्र का वितरण किया गया. मौके पर आयुष अग्रवाल की मां मनीषा अग्रवाल, कस्तूरबा की वार्डन लिपिका साव, लेखापाल प्रवीर मिश्रा समेत सभी शिक्षिकाएं और
छात्राएं उपस्थित थीं. छात्राओं ने रॉबट से फुटबॉल मैच भी खेला और सभी को चौंका दिया.
नैंसी, रीना और काजल ओवरऑल चैंपियन
आयुष अग्रवाल ने बताया प्रशिक्षण में 271 छात्राएं शामिल हुए थीं. इसमें 17 मेरिट सूची में आयी हैं. नैंसी सैली मार्डी, रीना रानी महतो और काजल कुमारी ओवरऑल चैंपियन बनीं. प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वालों में कक्षा आठ की एस मार्डी, पुनम सीट, सुनीता कुमारी, 9 वीं की नैनसी सैली मार्डी, सबिता मुंडा, अंजली कुमारी, कुमारी मीली, 11 वीं की रिना रानी महतो, काजल कुमारी, जोबा रानी, 12 वीं की पापिया महतो, रिंकी महतो, अंजली कुमारी रही. सभी को प्रमाण पत्र देकर पुरस्कृत किया गया.
ताइवान के प्रस्ताव को आयुष ने ठुकराया
आयुष अग्रवाल ने प्रभात खबर से कहा कि ताइवान की एमसीयूटी विश्वविद्यालय ने हमारे द्वारा बनाये गये रॉबट को खरीदने का प्रस्ताव मेल से भेजा है. विवि ने कहा है कि 100 प्रतिशत स्कॉलरशीप समेत रहने, खाने और सम्मान जनक पैकज देने की बात कही, लेकिन श्री अग्रवाल ने उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया. उन्होंने कहा वे अपने द्वारा रिसर्च कर बनाये गये रॉबट को भारत में प्रयोग करेंगे. यहां के स्कूल और कॉलेजों में प्रशिक्षण देकर विद्यार्थियों को इस लायक बनायेंगे. आयुष के विचार का समर्थन उसकी मां मनीषा अग्रवाल ने भी किया.

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