बहरागोड़ा : बहरागोड़ा प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी चिकित्सा व्यवस्था बदहाल है. प्रखंड के ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र तो बदहाल हैं ही, स्वास्थ्य उपकेंद्रों में भी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. इस प्रखंड में 38 प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र हैं. इनमें 12 के अपने भवन हैं, जबकि 26 केंद्र निजी या फिर सरकारी भवनों में चलते हैं. जिन केंद्रों के अपने भवन बने हैं, उनमें भी सुविधाओं का घोर अभाव है. एक एएनएम के भरोसे केंद्र चलता है, क्योंकि चिकित्सक कभी वहां नहीं जाते हैं.
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बहरागोड़ा के 38 में से 26 उप स्वास्थ्य केंद्र भवनहीन
बहरागोड़ा : बहरागोड़ा प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी चिकित्सा व्यवस्था बदहाल है. प्रखंड के ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र तो बदहाल हैं ही, स्वास्थ्य उपकेंद्रों में भी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. इस प्रखंड में 38 प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र हैं. इनमें 12 के अपने भवन हैं, जबकि 26 केंद्र निजी या फिर सरकारी भवनों में चलते हैं. […]
स्वास्थ्य उपकेंद्र में एएनएम के दो पद स्वीकृत हैं, लेकिन एक एएनएम ही वहां पदस्थापित है. ऐसे केंद्र सप्ताह में सिर्फ तीन खुलते हैं. शेष दिनों में एएनएम को अन्य सरकारी कार्य करने पड़ते हैं. अपने भवन वाले इन 12 केंद्रों में एक ही एएनएम के भरोसे प्रसव होता है. 12 केंद्रों में अगस्त माह में कुल 38 प्रसव हुए. केंद्र में प्रसव के लिए कोई खास सुविधा नहीं होने के कारण वहां सामान्य प्रसव तो कराया जाता है, लेकिन हालत बिगड़ने पर सीएचसी भेजा जाता है.
इन केंद्रों में ऑक्सीजन की कमी है. ग्रामीणों का कहना है कि स्वास्थ्य केंद्रों में बेहतर सुविधा नहीं होने के कारण गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए भेजने से ग्रामीण डरते हैं. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ ओपी चौधरी ने बताया कि सभी उप स्वास्थ्य केंद्रों में स्टाफ की कमी है. सभी केंद्रों में दो की बजाय एक एएनएम की नियुक्ति की गयी है. केंद्रों में सुधार के लिए सिविल सर्जन से आग्रह किया गया है.
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