घाटशिला : घाटशिला कॉलेज में नैक टीम का दो दिवसीय दौरा मंगलवार शाम ऑडियो विजुअल रूम में एक्जिट मीटिंग के साथ समापन हो गया. दो दिनों तक नैक टीम ने कॉलेज के एक-एक विभाग का निरीक्षण किया. टीम कॉलेज की व्यवस्था से खुश दिखी. हालांकि कुछ मामलों में व्यवस्था और दुरुस्त करने को कहा. अब कॉलेज को नैक टीम क्या ग्रेडिंग देती है.
इसपर सबकी निगाहें हैं. टीम ने छात्रावास की व्यवस्था को सही नहीं पायी. टीम ने छात्रावास की व्यवस्था सुधारने के लिए ध्यान देने को कहा. कॉलेज में छात्राओं के लिए और शौचालय की व्यवस्था व महिला व पुरुष शिक्षकों के लिए अलग-अलग शौचालय बनाने को कहा. केंद्र सरकार की स्वच्छता अभियान के तहत चली रही योजनाओं को कॉलेज में जगह दें. एसएसआर की कमियों को दूर करने को कहा.
समस्याओं को दूर करने के लिए लोगों में पेसेंस की कमी
एक्जिट मीटिंग में महाराष्ट्र से आये बीएस शिंदे ने कहा कि दुनिया में समस्याओं का अंबार है. वहीं इन्हें दूर करने के लिए लोगों में पेसेंस की कमी है. उन्होंने कहा कि लोग खुश रह कर पैसे कमा कर आगे बढ़ सकते हैं. कुछ करने की इच्छा शक्ति बनायें.
छात्राएं खेल में आगे बढ़ें, आने वाली पीढ़ी आपसे सीखेगी
डॉ शिंदे ने कहा कि कॉलेज की छात्राएं खेल के प्रति सोचें. खेल भी आगे बढ़ने का सुगम मार्ग है. अगर आप खेल के प्रति आगे बढ़ते हैं, तो आने वाली पीढ़ी आप को देख कर आगे बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि घाटशिला कॉलेज में टैलेंट की कमी नहीं है. इस टैलेंट को निखारने की जरूरत है.
नैक टीम ने कॉलेज में पौधरोपण किया, आदिवासियों की संस्कृति जानी : एक्जिट मीटिंग के बाद नैक टीम के दोनों सदस्यों ने घाटशिला कॉलेज परिसर में पौधरोपण किया. वहीं स्वच्छता व हरियाली का संदेश दिया. इसके बाद दोनों सदस्य पावड़ा गांव पहुंचे. यहां आदिवासियों की सभ्यता व संस्कृति से रूबरू हुए.
एक्जिट मीटिंग में स्वागत भाषण कॉलेज के प्राचार्य डॉ बिनोद कुमार ने दिया. संचालन और धन्यवाद ज्ञापन आइक्यूएसी के नोडल ऑफिसर डॉ नरेश कुमार ने किया. मौके पर डॉ एसेक सिंह, डॉ राजीव कुमार, डॉ एसपी सिंह, मुश्ताक अहमद, कमल गुहा, डॉ दिल चंद राम, डॉ पीके गुप्ता, एस चंद्रा, महेश्वर प्रमाणिक, बिहारी लाल करण, डॉ भवानी चक्रवर्ती, प्रो किशोरी मोहन हांसदा, सपना आस, महेश प्रसाद सिंह, सतीश प्रसाद, माही मार्डी, बसंती मार्डी, अनामिका कुमारी, प्रतिभा कुमारी, कंचन सिन्हा, सुमन अग्रवाल, विश्वनाथ शर्मा, प्रसन्न कुमार बिसई समेत बड़ी संख्या में शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारी, छात्र-छात्राएं उपस्थित थे.
घाटशिला कॉलेज के प्राचार्य में बेहतर लीडरशिप की क्षमता
इस कॉलेज के प्राचार्य डॉ बिनोद कुमार में बेहतर लीडरशिप क्षमता है. इस लीडरशिप के कारण ही कॉलेज ने बहुत विकास किया है. प्राचार्य के मार्ग दर्शन में इस कॉलेज को निरंतर आगे बढ़ने की संभावना है. इस कॉलेज से जो प्यार मिला है. उसे कभी भूल नहीं सकता हूं. इस कॉलेज के बच्चों में जो संस्कार है. वह संस्कार हमेशा बना रहे. यहां के आदिवासी-मूलवासियों के रक्त में जो संवेदना है. उसे भी कभी भूल नहीं सकता.
कुछ सीखना है तो जापान से सीखें
उन्होंने कहा कि अगर कुछ सीखना है, तो जापान से सीखना चाहिए. घाटशिला कॉलेज वर्ष 1961 में बना है. जापान के हिरोशिमा व नागासाकी पर परमाणु बम गिरने के बाद भी वह सुपर पावर बनने के कगार पर है. आपके पास भी वही शक्ति है. इस शक्ति का प्रदर्शन करने की जरूरत है. भ्रष्टाचार सभी जगह है, लेकिन भ्रष्टाचार को कम किया जा सकता है. घाटशिला कॉलेज से सीखी गयीं बातों को मैं कभी भूलना नहीं चाहता हूं. उन्होंने कहा कि इस कॉलेज से नैक टीम के बहाने बहुत कुछ सीखने को मिला है.
गेस्ट फैकल्टी के लिए विश्वविद्यालय कुछ सोचे
गेस्ट फेकल्टी भी इस कॉलेज को अपनी सेवा दे रहे हैं. वे भी इस संस्थान को मन लगा कर अपनी सेवा दे रहे हैं. मगर गेस्ट फैकल्टी को जितने पैसे मिलने चाहिए. उन्हें नहीं मिल रहा है. विश्वविद्यालय को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है. कॉलेज के एल्युमिनाई भी बेहतर हैं. उन्हें भी कॉलेज के लिए कुछ करने की जरूरत है. छात्रावास में कमी है. इस कमी को दूर करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जो लिमिटेशन है. उस लिमिटेशन को ध्यान में रख कर ही कुछ करने की जरूरत है.
झारखंड बेहतर राज्य बनेगा, विकास पथ पर अग्रसर
डॉ शिंदे ने कहा कि घाटशिला कॉलेज के विद्यार्थियों ने झारखंड की सभ्यता संस्कृति बचाये रखने का काम किया है. दो दिनों तक यहां रहा. कॉलेज के नन टीचिंग कर्मचारियों संग ज्यादा समय तक रहने का मौका नहीं मिला. एकाउंटेंट समेत अन्य लोगों से मिला. उन्हें जो सैलरी मिल रही है, वह कम है. फिर भी वे कॉलेज को अपनी सेवा दे रहे हैं.
उन्होंने कहा कि घाटशिला कॉलेज के विद्यार्थियों ने 11 सितंबर को जो सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया. उसे देख कर नहीं लगा कि कलाकार किसी बेहतर संस्था से सीख कर नहीं निकले हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड गरीब नहीं अमीर राज्य है. लोगों की सोच और भावना बदलती है, तो यह राज्य भारत का बेहतर राज्य बन जायेगा. उन्होंने कहा कि वे तो जानते थे कि झारखंड गरीब है. घाटशिला आने के बाद पता चला कि यह राज्य विकास के प्रति अग्रसर है.
आज कट पेस्ट का जमाना, कोई कुछ करना नहीं चाहता
डॉ शिंदे ने कहा कि घाटशिला कॉलेज में बेहतर शिक्षक और कर्मचारी हैं. जो शिक्षक किसी क्षेत्र में रिसर्च कर रहे हैं. उन्हें यह बात जानने की जरूरत है कि उनके रिसर्च से क्षेत्र को कितना लाभ मिलेगा. उसी के मुताबिक रिसर्च का विषय ढूंढे. आज कंप्यूटर युग में कट पेस्ट हावी हो गया है. कोई कुछ करना नहीं चाहता है. केवल कट और पेस्ट करना चाहता है. कॉलेज के विद्यार्थी अनुशासित हैं.