गालूडीह : गालूडीह थानांतर्गत बाघुड़िया पंचायत स्थित बीहड़ पहाड़ों पर बसा मिर्गीटांड़ गांव वर्षों तक नक्सलवाद के कारण बदनाम रहा. यहां के ग्रामीण नक्सलवाद के नाम पर प्रताड़ित होते रहे. अब नक्सलवाद खत्म हुआ, तो पत्थर माफियाओं का वर्चस्व हो गया है. एक तरफ पत्थर माफियाओं का दबाव, तो दूसरी तरफ वन विभाग व पुलिस की धमक.
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नक्सलियों के बाद अब पत्थर माफियाओं का वर्चस्व
गालूडीह : गालूडीह थानांतर्गत बाघुड़िया पंचायत स्थित बीहड़ पहाड़ों पर बसा मिर्गीटांड़ गांव वर्षों तक नक्सलवाद के कारण बदनाम रहा. यहां के ग्रामीण नक्सलवाद के नाम पर प्रताड़ित होते रहे. अब नक्सलवाद खत्म हुआ, तो पत्थर माफियाओं का वर्चस्व हो गया है. एक तरफ पत्थर माफियाओं का दबाव, तो दूसरी तरफ वन विभाग व पुलिस […]
ग्राम प्रधान रवि टुडू, ग्रामीण रामचंद्र किस्कू आदि ग्रामीणों ने कहा कि जब नक्सलवाद की तूती बोलती थी, तो गांव में नक्सलियों का दबदबा था. दिन में पुलिस, तो रात में नक्सली आते थे. पुलिस नक्सलियों का ठिकाना पूछती थी. नक्सली कुछ बताने पर पीटते थे. नक्सल के नाम पर इस गांव के कई लोग जेल भी गये. अब स्थिति बदली है. नक्सलवाद समाप्त हुआ तो पत्थर माफियाओं का वर्चस्व गांव में कायम होने लगा है. मैंगनीज पत्थर खनन करने वाले बंगाल और झारखंड के कई लोग इस गांव में चक्कर लगा रहे हैं. ग्रामीणों को प्रलोभन दे रहे हैं. पत्थर खनन करने, पहाड़ों में रास्ता बनाने में सहयोग मांग रहे हैं.
मजदूरी के रूप में अधिक पैसे देने का प्रलोभन दिया जा रहा है. ग्रामीण कहते हैं पुलिस-वन विभाग जब कार्रवाई करती है, तो ग्रामीणों को आरोपी बना दिया जाता है. असल माफिया भाग निकलते हैं. वर्ष 2008 में ऐसा हुआ था. पुलिस ने मैंगनीज पत्थर लदे दो ट्रकों को पकड़ा था. तब कई ग्रामीणों पर प्राथमिकी दर्ज हुई थी. जेल जाना पड़ा था. हम गरीब लोग हैं, मजदूरी के लोभ में काम करते हैं. प्रशासन हमें दोषी मान कार्रवाई करता है.
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