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तीर-धनुष को भी मिले मान्यता

मांग. एसपी कॉलेज मैदान में आयोजित जनसभा में सालखन मुर्मू ने कहा तीर-धनुष को बताया अपनी परंपरा का प्रतीक दुमका : आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने एसपी कॉलेज मैदान में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए संताल आदिवासियों को भी ठीक उसी तरह तीर-धनुष रखने की मान्यता प्रदान की जानी चाहिए […]

मांग. एसपी कॉलेज मैदान में आयोजित जनसभा में सालखन मुर्मू ने कहा

तीर-धनुष को बताया अपनी परंपरा का प्रतीक

दुमका : आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने एसपी कॉलेज मैदान में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए संताल आदिवासियों को भी ठीक उसी तरह तीर-धनुष रखने की मान्यता प्रदान की जानी चाहिए जैसा कि सिखों को कृपाण तथा नेपालियों को खुखरी रखने की मान्यता प्रदान की गयी है. उन्होंने कहा कि तीर-धनुष तीर धनुष भारत और दुनिया के आदिवासियों का एक सामाजिक सांस्कृतिक धार्मिक और जीवन का प्रतीक चिन्ह है और उस जीवन के प्रतीक चिन्ह को एसपी कॉलेज दुमका और उसके छात्रावास से लूटा गया, जब्त किया गया.

एक प्रकार से यह भारत के आदिवासियों पर हमला है. हमारी प्रतीक पर हमला है. हमारे स्वाभिमान पर हमला है.

हमारे मान सम्मान पर हमला है. श्री मुर्मू ने कहा कि इसी तीर धनुष की बदौलत सिदो कान्हू और बाबा तिलका ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी और अंग्रेजों के भी दांत खट्टे किए थे. भारत देश बाद में आजाद हुआ, जबकि करीब पूरे एक सदी पहले संतालपरगना को अंग्रेजों से इन्होंने 22 दिसंबर 1855 को अलग परगना के रूप में जीता था.

आज उसी संतालपरगना की राजधानी दुमका से हमारे तीन धनुष को जब्त किया गया है. उन्होंने राष्ट्रपति को 12 जनवरी 2017 को पत्र लिखकर दिया है कि हमारे तीर धनुष को जब्त किया जाना हम आदिवासियों के ऊपर हमला है.

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