दुमका : उपराजधानी अंतर्गत सदर प्रखंड के तेलियाचक गांव में आदिम जनजाति के लोग अपने घरों पर ताला नहीं लगाते हैं. 16 परिवार वाले इस गांव में लगभग 10 परिवार के लोग रोजगार के लिए अन्य राज्यों में पलायन कर चुके हैं. अधिकांश घर खाली है, परंतु किसी भी घर में ताला नहीं लगाया जाता है. इस बात पर गांव के दुलाल देहरी कहते हैं
कि घर पर खाने पहनने को कुछ है ही नहीं तो घर पर ताला लगा कर क्या करेंगे. गांव में रोजगार की व्यवस्था नहीं है. जिस कारण गांव के अधिकांश लोग पलायन करने को मजबूर हैं. गांव के मनु देहरी अपने छह सदस्य परिवार के साथ रोजगार की तलाश में बंगाल पलायन कर चुका है. ग्रामीणों ने बताया कि मनरेगा के तहत भी रोजगार नहीं मिल पा रहा है. जिस कारण लोगों को अन्य राज्यों में पलायन करना पड़ रहा है.
16 परिवार वाले इस गांव में 10 परिवार के लोग रोजगार के लिए कर चुके हैं पलायन
घर में न खाने को कुछ है और न ही संभाल कर रखने योग्य वस्तु
गरीबी के कारण छोड़नी पड़ी पढ़ाई
गांव के चौदह वर्षीय केटका देहरी को पैसे के अभाव में पढ़ाई छोड़नी पड़ी. केटका देहरी ने बताया कि पांचवीं तक पढ़ाई कर चार साल पहले छोड़ दी है. मां का देहांत हो गया इसके बाद पिता भी बीमार पड़ गये. सरकारी स्कूल में पांचवी में पढ़ाई कर रहा था. पर कलम, कॉपी के लिए रुपये आवश्यकता होने लगी. कॉपी, कलम नही ले जाने पर शिक्षक डाटते थे. जिस कारण पढ़ाई छोड़ दी. पर वह आगे पढ़ना चाहता है. मगर व्यवस्था ठीक नहीं रहने के कारण विवश हैं.
खराब पड़ा गांव का चापाकल.
गांव में बिजली-पानी की व्यवस्था नहीं
ग्रामीणों ने बताया कि दुमका सदर प्रखंड से मात्र 7 किलोमीटर दूरी पर स्थित 16 परिवार वाले इस पहाड़िया गांव के लोगों को बिजली उपलब्ध नहीं कराया गया है. आजादी के 70 सालों में भी गांव के लोग ढिबरी जलाकर ही रात काटने को मजबूर हैं. गांव में अब तक बिजली का एक खंबा तक नहीं गाड़ा गया है. ऐसा नहीं है कि यहां के ग्रामीण इसकी जानकारी विभाग तक नहीं पहुंचायी है. ग्रामीणों ने बताया कि कई बार नेता से अधिकारी तक गांव में बिजली नहीं होने की जानकारी दी गयी पर स्थिति जस-की तस है. गांव की उमा देवी ने बताया की गांव में पेयजल की भी व्यवस्था ठीक नहीं है. पानी की समस्या गांव में है चार साल पूर्व गांव में चापाकल गाड़ा गया था जो एक साल से खराब पड़ा हुआ है. एक निजी संस्था द्वारा गांव में बोरिंग कराया गया है. नेपाल देहरी कहते है कि गांव घुसने तक के लिए सरकार द्वारा सड़क तक नही बनवाया गया है.