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झारखंड के 25 प्रतिनिधि लेंगे भाग

आंगनबाड़ी वर्कर्स फेडरेशन का राष्ट्रीय सम्मेलन बैठक करते आंगनबाड़ी वर्कर्स फेडरेशन के सदस्य. दुमका : झारखंड राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन की राज्य कमेटी की बैठक एलिजाबेथ मुर्मू की अध्यक्षता में तथा ऑल इंडिया आंगनबाड़ी वेलफेयर फेडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चिंतामणि मंडल एवं राष्ट्रीय सदस्य नमिता रानी गोरायं की उपस्थिति में संपन्न हुई. जिसमें पटना में […]

आंगनबाड़ी वर्कर्स फेडरेशन का राष्ट्रीय सम्मेलन

बैठक करते आंगनबाड़ी वर्कर्स फेडरेशन के सदस्य.
दुमका : झारखंड राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन की राज्य कमेटी की बैठक एलिजाबेथ मुर्मू की अध्यक्षता में तथा ऑल इंडिया आंगनबाड़ी वेलफेयर फेडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चिंतामणि मंडल एवं राष्ट्रीय सदस्य नमिता रानी गोरायं की उपस्थिति में संपन्न हुई. जिसमें पटना में आयोजित होने वाले 10, 11 व 12 दिसंबर को राष्ट्रीय सम्मेलन पर विस्तार से चर्चा हुई. राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चिंतामणि मंडल ने बताया कि इस राष्ट्रीय सम्मेलन में देशभर के तमाम राज्यों से 27 लाख आईसीडीएस कर्मियों के करीब चार सौ पचास प्रतिनिधि भाग लेंगे. झारखंड से 25 प्रतिनिधि भाग लेंगे.
श्री मंडल ने बताया कि सरकारी कर्मचारियों को केंद्र सरकार द्वारा जारी सांतवे वेतन आयोग के आलोक में समान काम-समान वेतन की नीति पर सेविका-सहायिकाओं को मानदेय व पेंशन, सेवानिवृत्ति लाभ, ग्रेच्युटी, जीपीएफ, इंक्रीमेंट, पदोन्नति, चिकित्सा, मकान भाड़ा आदि पर चरचा होगी. साथ ही पूर्व में केंद्रीय मंत्री के बयान कि दस साल से अधिक पहले से कार्यरत सेविकायें-सहायिकायें सरकारी कर्मचारी बनेंगी पर भी चरचा की जायेगी.
चयनमुक्त आइसीडीएस कर्मियों का भी उठेगा मुद‍्दा
श्री मंडल ने बताया कि दुमका जिले के 64 सेविका और सहायिकाओं के साथ पूरे राज्य के चयनुमक्त आंगनबाड़ी कर्मियों को पुन: कार्य आदेश देने की मांग भी इस राष्ट्रीय अधिवेशन में की जायेगी. बैठक में रामदुलारी गुप्ता, नसीमा खातुन, एलिजाबेथ सोरेन, सुसान्ना हांसदा, कौशल्या देवी, बेलिना सोरेन, बाहामुनी बास्की, सुमित्रा बास्की, पानमुनी किस्कू, शहनाज परवीन, अहिल्या माल पहाड़िया, मीनू मुक्ता लकड़ा, पुष्पा देवी आदि मौजूद थीं.
स्मार्ट क्लास के उपस्कर फांक रहे धूल
उपेक्षा साइंस विषयों के पीजी डिपार्टमेंट में न बिजली न पानी, एक में भी नहीं स्थापित हुई प्रयोगशाला
विज्ञान संकाय को दिग्घी कैंपस में शिफ्ट हुए तीन महीने बीतने को है मगर व्यवस्था सुव्यवस्थित नहीं होना कहीं न कहीं विवि प्रबंधन की उदासीनता को दर्शाता है. खर्च तो लाखों रुपये हो रहे हैं मगर इसका लाभ किसी को भी नहीं मिल रहा है.
सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय के स्नातकोत्तर विभागों के दिग्घी कैंपस में शिफ्ट किये हुए तीन महीने गुजरने को है, लेकिन अब तक वहां न तो बिजली और न ही पानी की व्यवस्था हो सकी है. ट्वायलेट में भी पानी नहीं है. ऐसे में न सिर्फ छात्र-छात्राओं बल्कि शिक्षक-शिक्षिकाओं और कर्मचारियों को भी भारी परेशानी होती है. किसी भी डिपार्टमेंट में न तो कंप्यूटर चल पा रहा है न ही जेरोक्स मशीन. स्मार्ट क्लास के लिए लगभग सात-साल लाख रुपये से खरीदे गये उपस्कर भी यूं ही धूल फांक रहे हैं. ऐसा नहीं है कि कैंपस में बिजली नहीं पहुंची है. परिसर के अंदर बिजली भवन के नजदीक पोल तक विद्युत की आपूर्ति हो भी रही है, पर पोल से अलग-अलग डिपार्टमेंट में कनेक्शन नहीं कराया जा सका है. ऐसे में भवनों में पानी की उपलब्धता के लिए कराये गये बोरिंग से पानी का उठाव करने के लिए मोटर भी नहीं चल पा रहा है.
स्नातकोत्तर भवन व बाहर से टांग कर पानी लाते कर्मी.
वीसी ने पहले ही दिया था निर्देश
वीसी डॉ कमर अहसन ने बिजली व पानी की समस्या के निदान के लिए बहुत पहले ही दिशा-निर्देश दिया था. विभागों को आकस्मिक निधि के लिए पचास-पचास हजार रुपये भी उपलब्ध कराये गये. पर इसका चेक 13 अक्तूबर को कटा, पर परिसर के अंदर ही एक भवन से दूसरे में पहुंचने में महीने भर से ज्यादा लग गया. रासायन विभाग को यह चेक 17 नवंबर को हस्तगत कराया गया.
न केमिकल, न उपकरण, कैसे हो प्रेक्टिकल
सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के साइंस डिपार्टमेंट में प्रायोगिक कक्षा कराने के लिए न तो किसी तरह का उपस्कर ही खरीदा गया है और न ही कोई केमिकल. जिस भवन को डिपार्टमेंट का रूप दिया गया है, दरअसल वह पदाधिकारियों के लिए बनाया गया क्वार्टर है. ऐसे में वर्ग चलाने के लिए कमरे भी छोटे पड़ रहे हैं. आड़े-तिरछे बेंच-डेस्क रखना पड़ रहा है.
कहते हैं शिक्षक
बिजली-पानी नहीं रहने की वजह से परेशानी हो रही है. इस दिशा में जल्द व्यवस्था होना जरूरी है. वीसी के स्तर से दिशा-निर्देश दिये भी गये थे, पर काम नहीं हुआ.
– डॉ हसमत अली.
विभागों में आवश्यक संसाधन का होना जरूरी है. इस दिशा में प्रयास हो भी रहे हैं. बिजली अब तक लग जानी चाहिए थी. इसकी वजह से पानी की भी किल्लत है.
– डॉ राजेंद्र पांडेय.

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