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गैर मजरुआ जमीन का पट्टा रद्द करने का षड्यंत्र कर रही सरकार : बाबूलाल
इस मुद्दे पर पूरे राज्य में करेंगे आंदोलन दुमका: झारखंड विकास मोरचा के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर सभी कानूनों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार किसानों के पट्टे को रद्द कर लैंड बैंक बनाने के नाम कॉरपोरेट घरानों को औने-पौन भाव में जमीन मुहैया कराने […]
इस मुद्दे पर पूरे राज्य में करेंगे आंदोलन
दुमका: झारखंड विकास मोरचा के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर सभी कानूनों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार किसानों के पट्टे को रद्द कर लैंड बैंक बनाने के नाम कॉरपोरेट घरानों को औने-पौन भाव में जमीन मुहैया कराने का षड़यंत्र कर रही है.
सरकार के इस मंसूबों को कभी पूरा होने नहीं दिया जायेगा. उनकी पार्टी इसके खिलाफ सड़क पर उतरेगी और जन आंदोलन चलायेगी. श्री मरांडी शुक्रवार को दुमका परिसदन में आयोजित पत्रकार सम्मेलन में कहा कि 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून में यह प्रावधान है कि किसानों की जमीन जबरन अधिग्रहित नहीं की जा सकती है. सरकारी कार्य के लिए 70 प्रतिशत स्थानीय रैयतो की सहमति आवश्यक है और कॉरपोरेट घराने को जमीन देने के लिए 80 प्रतिशत रैयती की सहमति होनी चाहिए. सड़क, रेल आदि सरकारी परियोजनाओं के लिए यदि सरकार जमीन अधिग्रहित करती है तो उस स्थित में किसानों की उतनी ही बंजर जमीन दिया जाना चाहिए,लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार को कानून की महत्ता समझ में नहीं आती है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा जमीन अधिग्रहण करने के मामले में सामाजिक एवं पर्यावरण आदि के प्रभाव का मूल्यांकन किया जाना जरूरी है. जमीन अधिग्रहण होने पर ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूदा बाजार मूल्य से चार गुणा कीमत दिये जाने के सरकारी प्रावधान है.
उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में सभी गैर मजरूआ जमीन के पट्टे को रद्द कर सरकार लैंड बैंक बनाना चाहती है और लैंड बैंक के बहाने गांवों मे रहनेवाले गरीबों के पेट पर लात मारने का काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की इस नीति से सूबे के लगभग पांच लाख परिवार और 25 लाख की आबादी इससे प्रभावित होगी. उनकी पार्टी सड़क पर उतर इसका विरोध करेगी. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार गरीबों की जमीन कॉरपोरेट को देना चाहती है.
हाईकोर्ट बेंच के लिए हमने की थी पहल
श्री मरांडी ने कहा कि उनके मुख्यमंत्रित्व काल में झारखंड के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश द्वारा उपराजधानी दुमका का भ्रमण कर यहां हाई कोर्ट का बैंच स्थापित करने की दिशा में प्रक्रिया शुरू की गयी थी. उन्होंने दजो पहल की, उसे बाद की सरकारों ने आगे नहीं बढ़ाया. अलबत्ता इसे ठंडे बस्तें में डाल दिया गया और मामला जहां का तहां अटक गया.
…दल-बदल मामले में फैसला आने में लग जायेंगे 240 महीने
श्री मरांडी ने अपनी पार्टी के विधायकों के दल बदल के मामले में पूछे गये एक सवाल के जबाब में कहा कि चोर के सामने ताला क्या-बेईमान के सामने केबाला क्या? उन्होंने कहा कि भाजपा बेईमान है. उसने इसी कहावत को चरितार्थ किया है. भाजपा सरकार पूरी तरह बेईमानी पर उतर गयी है और भाजपा दसवीं अनुसूची के प्रावधानों को ताख पर रख दिया है. अब तक इस मामले में केवल छह गवाहों के गवाह हुए हैं.
कुल अस्सी और गवाह होने हैं. चालीस महीने का कार्यकाल इस विधानसभा का बचा है. लगभग 20 महीने में केवल छह गवाह गुजरे, तो इतने गवाहों की गवाही में 240 महीने लग जायेंगे. श्री मरांडी ने कहा कि अगर दलबदल करने वाले विधायकों में थोड़ी भी नैतिकता बची होती तो वे पार्टी से इस्तीफा देने के बाद ही भाजपा में जाते. पत्रकार सम्मेलन में पार्टी के केन्द्रीय कमेटी के सदस्य विनोद शर्मा, छोटू मुर्मू,पिंटु अग्रवाल,जिलाध्यक्ष धमेन्द्र सिंह बिटटु, श्यामदेव हेम्ब्रम आदि मौजूद थे.
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