खतरा टला. पोकलेन से काटना पड़ा गार्डवाल, कम किया जा रहा जलस्तर
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खतरे के निशान से बड़ानदी डैम का जलस्तर मात्र एक फीट नीचे
खतरा टला. पोकलेन से काटना पड़ा गार्डवाल, कम किया जा रहा जलस्तर खतरे के निशान से मात्र जलस्तर एक फीट नीचे डैम की जलधारण क्षमता 420 फीट कुछ दिन पूर्व ही प्रभात खबर ने प्रमुखता से प्रकाशित की थी खबर रेस में आया विभाग बांये ओर की लिकेज ठीक कर रहा था जलस्तर बढ़ने से […]
खतरे के निशान से मात्र जलस्तर एक फीट नीचे
डैम की जलधारण क्षमता 420 फीट
कुछ दिन पूर्व ही प्रभात खबर ने प्रमुखता से प्रकाशित की थी खबर
रेस में आया विभाग बांये ओर की लिकेज ठीक कर रहा था
जलस्तर बढ़ने से दायां भी हुआ डेमेज
रानीश्वर : रानीश्वर में बड़ानदी डैम का जलस्तर कम किया जा रहा है. इसके लिए मंगलवार को डैम के ओवरफ्लो गार्डवाल को पोकलेन से कटवा दिया गया है. ओवरफ्लो का गार्डवाल काटे जाने के बाद डैम के लिकेज से पानी का बहाव कुछ कम हुआ है. गार्डवाल नहीं कटवाये जाने से डैम के लिए भी खतरे की स्थिति पैदा हो रही थी.
दरअसल 27 अगस्त को नहर के गेट के पास बांयी ओर लिकेज हो गया था़ प्रभात खबर में प्रमुखता के साथ खबर प्रकाशित होने पर सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने डैम पहुंच कर लिकेज बंद कराने की पहल शुरू की थी. लिकेज के पास बालू, मिट्टी पत्थर आदि भर कर लिकेज मरम्मति का प्रयास किया गया था,
पर डैम में पानी भरा होने रहने के कारण नहर के गेट के बांये ओर लिकेज की मरम्मति कराने के बाद नहर के गेट के दांये ओर लिकेज हो गया. सिंचाई विभाग के अधिकारी खतरा को कम करने के लिए डैम के ओवरफ्लो का गार्डवाल मंगलवार को पोकलेन मशीन लाकर तोड़वा दिया. ओवरफ्लो का गार्डवाल तोड़वा दिये जाने से डैम से लगातार ज्यादा मात्रा में पानी की निकासी हो रही है. सिंचाई विभाग के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार डैम में जलस्तर कम होने पर नहर के गेट के पास बने लिकेज मरम्मत का काम फिर से शुरू किया जायेगा़ उधर डैम के आसपास उगी झाड़ियों की साफ-सफाई भी शुरू कर दी गयी है़
जलस्तर खतरे के निशान से मात्र एक फीट की नीचे है़ डैम में जल धारण क्षमता 420 फीट है़ उससे ज्यादा जलस्तर बढ़ जाने से ओवरफ्लो से पानी की निकासी हो जाती है. डैम में अभी जलस्तर 419 फीट पर है़ हालांकि ओवरफ्लो के गेट से पानी की लगातार हो रही निकासी से जलस्तर कम होते जा रहा है़ डैम का जायजा लेने सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता भी पहुंचे थे़
अब बड़ानदी डैम के नहर के गेट के दांयी ओर हुई लिकेज व लिकेज मरम्मति के लिए डैम पर पहंचा पोकलेन. फोटो। प्रभात खबर
1955-56 में बना था बड़ानदी डैम
रानीश्वर : आजादी के बाद मयुराक्षी नदी को मसानजोर में दो पहाड़ों के बीच बांध कर डैम का निर्माण 1955-56 में जहां मसानजोर डैम बना वहीं इसके बाद 1964 में इसी इलाके में बड़ानदी को भी बालीराम व चड़कापाथर के दो पहाड़ के बीच बांध कर मिट्टी का डैम बनाया गया था. डैम से उत्तर दिशा में एक नहर का भी निर्माण कराया गया है़ इस डैम की जलधारण क्षमता जलस्तर 420 फीट तक रहने पर 3675 एकड़ है़ जबकि जलस्तर 419 फीट पर रहने पर 3375 एकड़.
डैम से निकाले गये नहर से पटवन की क्षमता 14500 हेक्टेयर थी. वर्तमान में नहर के रख रखाव के अभाव में पटवन इलाका कम हो गया है़ मुख्य नहर की लंबाई 4.33 किलोमीटर है़ इससे कई शाखा नहर भी निकाला गया है़ डैम से पश्चिम बंगाल सीमा के बड़जोल तक नहर बनाया गया था. बड़ानदी डैम से निकाले गये नहर से रानीश्वर प्रखंड के रांगालिया,
पांचपहाड़ी, दक्षिणजोल, अलीगंज, राखालपहाड़ी, चोपाबाथान, टांगदहा, नयापाड़ा, पलसा, पारपलसा, पाकुडि़या, बडज़ोल आदि गांव तक नहर का पानी पहुंचता था़ इस डैम के बनने से दुमका प्रखंड के बालीराम, मुर्गाथोल, रानीष्वर प्रखंड के चड़कापाथर, आमझारी आदि गांवों के रैयतों की जमीन जलमग्न हुई थी. बड़ानदी डैम मनोरम स्थल है़ पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने से इलाके का विकास हो पाता.
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