1932 के खतियान आधारित हो नीति
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आक्रोश . स्थानीयता नीति के विरोध में भाकपा माले ने फूंका सीएम का पुतला, कहा
1932 के खतियान आधारित हो नीति स्थानीयता नीति घोषित होने के बाद विपक्षी दलों समेत अनेक संगठनों द्वारा सरकार के विरोध में प्रदर्शन जारी है. जिसे लेकर जन आंदोलन करने की बात कही जा रही है. नीति बाहरी लोगों के हित में परिभाषित की गयी नीति आदिवासी व मूलवासी पर कुठाराघात जन आंदोलन की चेतावनी […]
स्थानीयता नीति घोषित होने के बाद विपक्षी दलों समेत अनेक संगठनों द्वारा सरकार के विरोध में प्रदर्शन जारी है. जिसे लेकर जन आंदोलन करने की बात कही जा रही है.
नीति बाहरी लोगों के हित में परिभाषित की गयी
नीति आदिवासी व मूलवासी पर कुठाराघात
जन आंदोलन की चेतावनी
दुमका : रघुवर सरकार द्वारा परिभाषित स्थानीयता नीति के खिलाफ रविवार को भाकपा माले ने सीएम और कल्याण मंत्री डाॅ लोईस मरांडी का पुतला दहन किया. इस दौरान माले नेताओं ने इसका कड़ा विरोध किया और कहा कि यह नीति यहां के आदिवासी व मूलवासी पर कुठाराघात है. यह नीति बाहरी लोगों के हित में परिभाषित की गयी है. इसके खिलाफ माले आंदोलन करेगा, ताकि यहां के लोगों की नौकरी व जल, जंगल व जमीन पर हक बरकरार रहे.
कार्यक्रम के दौरान यह भी निर्णय लिया गया कि गांव में जन आंदोलन किया जायेगा और भाजपा को उसकी मंशा पूरी नहीं करने दिया जायेगा. मौके पर माले नेता सुभाष चंद्र मंडल,पलटन हांसदा, रामेश्वर सोरेन, हरदेव राय, भुंडा बास्की, कमलेश्वर सिंह, प्रेम कुमार राणा, सुबास्टेन मरांडी, हेमलाल सोरेन, प्रमोद मरांडी, रीता हेंब्रम आदि मौजूद थे.
जाहेर आखड़ा व प्रधानों ने भी जतायी नाराजगी
इधर दिसोम मारंग बुरु युग जाहेर अखड़ा और गांव के प्रधानों ने सदर प्रखंड के ताराजोड़ा गांव के जिलिज टंडी में एक बैठक की. जिसमें झारखंड सरकार द्वारा घोषित स्थानीयता निति पर चरचा की गई और कहा कि यह नीति मूलवासियों के विरोध में है. ग्रामीणों ने इस स्थानीयता नीति को सिदो-कान्हू, चांद, भैयरो, फूलो, झानों आदि स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों के बिलकुल उलट बताया. बैठक में मूलवासियों के लिये बना एसपीटी एक्ट को रघुवर सरकार द्वारा दरकिनार किये जाने पर नाराजगी जतायी.
इसके विरोध में ग्रामीणों व अखड़ा के सदस्यों ने मुख्यमंत्री रघुवर दास और कल्याण मंत्री डॉ लोइस मरांडी का पुतला दहन किया ओर 1932 के खतियान को आधार मानकर राज्य की स्थानीयता नीति परिभाषित करने की मांग की. चेतावनी दी कि अगर ऐसा नहीं होता है, तो आखड़ा सड़क पर उतर कर आंदोलन करेंगे और आने वाले चुनाव का बहिष्कार किया जाएगा.
मौके पर मकु किस्कू, गुनुय हांसदा, सलीम मरांडी, मंगल मुर्मू, बाबूधन हांसदा, माने टुडू, शिवलाल सोरेन, सुजीत मुर्मू, सुनील टुडू, बुदी टुडू, मार्शल मुर्मू, रमेश मुर्मू, श्यामलाल मरांडी, सोनामुनी हेंब्रम,शांति मरांडी, फुलमुनी मुर्मू, फुलिन सोरेन, अनिता मुर्मू, प्रमिला टुडू,बहपकू सोरेन, रोजमेरी मरांडी, काहा मरांडी, बुधन रॉय, मलोती हांसदा, गुरु वा मुर्मू, सुहागनी टुडू, रसीला मुर्मू, संतोषी मरांडी, बिटिया टुडू जेठा सोरेन आदि मौजूद थे.
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